यमक अलंकार Yamak Alankar
Yamak Alankar In Hindi यदि किसी शब्द की पुर्नावृति एक से अधिक बार होतो है। लेकिन उनके अर्थ हर स्थान पर अलग-अलग होते हैं ऐसे अलंकार में यमक अलंकार होता है।
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उदाहरण
कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बोराय जग,बा पाए बौराय ॥
यहाँ पर पहले कनक का अर्थ ‘धतूरा’ और दूसरे कनक का अर्थ स्वर्ण’ (सोना) है। अत: यहाँ पर यमक अलंकार है।
यमक अलंकार की परिभाषा Yamak Alankar Ki Paribhasha
जब एक शब्द एक से अधिक बार आते है और हर स्थान पर उनका अर्थ अलग-अलग होता है वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण
काली घटा का घमंड घटा
यहाँ पर एक स्थान पर घटा का अर्थ वर्षा की घटा तथा दूसरे स्थान पर घटा का अर्थ कम हुआ है।
उदाहरण
सपना सपना समझकर भूल न जाना
यहाँ पर एक स्थान पर सपना का अर्थ किसी का नाम से है तथा दूसरे स्थान पर दूसरे सपना शब्द का अर्थ रात में आने वाला स्वप्न है।
तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है।
यहाँ पर एक स्थान पर तीन बेर का अर्थ तीन बेर के दाने से है तथा दूसरे स्थान पर दूसरे तीन बेर शब्द का अर्थ तीन बार है
माला फेरत जुग भया, मिटा ना मनका फेर
कर का मनका डारि के मन का मनका फेर।
यहाँ पर एक स्थान पर मनका का अर्थ माला का दाना से है तथा दूसरे स्थान पर मनका शब्द का अर्थ हृदय का है
सजना है मुझे सजना के लिए
यहाँ पर एक स्थान पर सजना का अर्थ श्रृंगार करना से है तथा दूसरे स्थान सजना का अर्थ प्रियतम है।
अन्य उदाहरण
सूर सूर तुलसी शशि
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
कबीरा सोई पीर है , जे जाने पर पीर
जे पर पीर न जानई , सो काफिर बेपीर। ।
पास ही रे हीरे की खान
उसे खोजता कहाँ नादान
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी।
यमक अलंकार के भेद
यमक अलंकार के दो भेद होते है
अभंग पद यमक
सभंग पद यमक
यमक अलंकार: – यस्मिन् काव्ये भिन्न-भिन्नअर्थप्रतिपादकशब्दानां एकाधिकवारम् आवृत्ति: भवति तत्र यमक अलंकार: भवति ।
उदाहरणम् – नवपलाश-पलाशवनं पुर: स्फुटपरागपरागतपंकजम् ।
मृदुलतान्तलतान्तमलोकयत् स सुरभिं-सुरभिं सुमनोभरै: ।।
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