श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण | Shlesh Alankar In Hindi

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श्लेष अलंकार की परिभाषा

Shlesh Alankar In Hindi श्लेष शब्द का अर्थ है – “चिपका हुआ” अर्थात एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ निकले अर्थात शब्द एक अर्थ चिपका हुआ या एक शब्द के अनेक अर्थ निकलते हैं  एक शब्द के दो या अधिक अर्थ निकलते है श्लेष अलंकार होता है। उदाहरण
रावण सिर-सरोज-वनचारी । चलि रघुवीर सिलीभख धारी।

सिलीमुख के अर्थ- बाण, (2) भौरा

यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

जब शब्द की आवृत्ति हो और प्रत्येक बार भिन्न अर्थ हो, तब यमक, किन्तु जब एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, तब श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारि उजियारे लागे, बढे अंधेरो होय।।

चरण धरत चिंता करत चितवत चारोंहुँ ओर
सुवरन को खोजत फिरे, कवि, व्यभिचारी, चोर।।

मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ।

सूली ऊपर सेज हमारी, किस विधि सोणा होय |
गगन मंडल पर सेज पिया की, किस विधि मिलना होय||

चिर जीवो जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर|
को घटि ये बृषभानुजा, वे हलधर के वीर||

नर की अरु नलनीर की गति एकै कर जोय
जेतो नीचो हवै चले ततो ऊंचो हो।

श्लेष अलंकार के भेद

श्लेष अलंकार दो प्रकार के होते है-
अभंग श्लेष
सभंग श्लेष

  यमक अलंकार - परिभाषा, उदाहरण, अर्थ - हिन्दी संस्कृत

श्‍लेष अलंकार:

श्लिश्‍टपदै: (अनेकार्थयुक्‍तपदै:) अनेकानाम् अर्थानां प्रतिपादनं भवति यत्र तत्र श्‍लेषअलंकार: भवति ।

‘श्लिष्‍टै: पदैरनेकार्थाभिधाने श्‍लेष इष्‍यते’ ।

उदाहरणम् –

पृथुकार्तस्‍वरपात्रं भूषितनि:शेषपरिजनं देव ।

विल्‍सत्‍करेणुगहनं सम्‍प्रति सममावयो: सदनम् ।।

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