वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा – उदाहरण – Vakrokti Alankar In Hindi

Rate this post

वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा

vakrokti alankar in hindi जहाँ किसी उक्ति में वक्ता के अभिप्राय से दूसरे अर्थ की कल्पना की जाए वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
सीताजी का यह कथन-“मैं सुकुमारि ! नाथ बन जोगू”-‘मै सुकुमारि’ पर काकु की व्यंजना करता है-अतः यहाँ काकु वक्रोक्ति है।

वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार

वक्रोक्ति अलंकार दो प्रकार होते हैं।

काकु अक्रोक्ति अलंकार
श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

उदाहरण

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू

कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।

को तुम हौ इत आये कहाँ घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो।
चितचोर कहावत है हम तौ तहां जाहुं जहाँ धन सरसों।।

को तुम हो इत आये कहा,
घनश्याम हो तू कितू बरसों

एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहाँ अपर है?
उसने कहा, ‘अपर’ कैसा ? वह उड़ गया ,सपर है।

कौन द्वार पर ,राधै मैं हरि

अन्य अलंकार पढ़े

अनुप्रास अलंकार यमक अलंकार पुनरुक्तिप्रकाश अलंकारवीप्सा अलंकारश्लेष अलंकार
उपमा अलंकारवक्रोक्ति अलंकारअनन्वय अलंकारप्रतीप अलंकाररूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकारस्मरण अलंकार भ्रातिमान अलंकारसंदेह अलंकारउल्लेख अलंकार
दृष्टांत अलंकारअतिशयोक्ति अलंकारअन्योक्ति अलंकारअसंगति अलंकारविषम अलंकार
विरोधाभास अलंकार

Share this
  अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar in Hindi

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Alert: Content is protected !!