संदेह अलंकार Sandeh Alankar in Hindi
जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता है कि उपमान में उपमेय की दुविधा बनी रहती है, तब संदेह अलंकार होता है।
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जैसे
की तुम तीनि देव मह कोऊ ।
मर-नारायन की तुम दोक ।।
नोट – भ्रातिमान अलंकार में उपमेय और उपमान के सादृश्य का आभास सत्यमान लिया जाता है, परन्तु संदेह में दुविधा (संदेह) बनी रहती है है या नहीं।
संदेह अलंकार के उदाहरण
निश्चय होय न वस्तु को, सो संदेह कहाय।
किधों, यही धौं, यह कि यह, इति विधि शब्द जताय।।
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।।
तारे आसमान के है आये मेहमान बनि, केशों में निशा ने मुक्तावली सजायी है।
बिखर गयो है चूर-चूर ह्वै कै चंद किधौं, कैधों घर-घर दीपावली सुहायी है।
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