प्रतीप अलंकार की परिभाषा
प्रतीप का अर्थ होता है उल्टा” या विपरीत जब उपमेय और उपमान में विपर्यय किया ज तब प्रतीप अलंकार होता है। प्रतीप का अर्थ ‘उल्टा’ है। प्रतीप अलंकार में उपमान की निकृष्टता की श्रेष्ठता दिखाई जाती है। यह उपमा अलंकार का विपरीत होता है
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उदाहरण-
नेत्र के समान कमल है।
गर्व कर रघुनन्दन जिन मन माह ।
देखउ आपनि मूरति सिय के छाँह ॥
अति उत्तम दृग मीन से कहे कौन विधि जाहि
काहे करत गुमान ससि! तव समान मुख मंजु
‘दृग आगे मृग कछु न ये !’
मुख आलोकित जग करै, कहो चन्द केहि काम?
‘लोचन से अंबुज बने मुख सो चंद्र बखानु !
सखि! मयंक तव मुख सम सुन्दर।
गरब करति मुख को कहा चंदहि नीकै जोई
“नेत्र के समान कमल है”।
“जिनके यश प्रताप के आगे, शशि मलीन रवि शीतल लागे
‘दृग आगे मृग कछु न ये
तीछन नैन कटाच्छ तें मंद काम के बान !
बहुत विचार कीन्ह मन माहीं, सीय वदन सम हिमकर नाहीं।
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