अन्योक्ति अलंकार और समासोक्ति अलंकार

अन्योक्ति अलंकार Anyokti Alankar

अन्योक्ति का अर्थ है-अन्य के प्रति की गई उक्ति। जब शब्दार्थ के साथ-साथ उससे ध्वनित होने वाले किसी अन्य अर्थ का बोध कराना कवि का लक्ष्य होता है, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

जैसे
नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल । अली कली ही सौं बिंध्यौ, आगे कौन हवाल ।।

यहाँ शब्दार्थ है-भौरे और कली वाला अर्थ, किन्तु व्यंग्यार्थ है-राजा जयसिंह और नवोढ़ा रानी वाला अर्थ। भ्रमर की अन्योक्ति से राजा जयसिंह को सचेत किया गया है। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।

समासोक्ति अलंकार Samasokti Alankar

जब प्रस्तुत द्वारा अप्रस्तुत का बोध कराया जाता है तब समासोक्ति अलंकार होता है, किन्तु यहाँ प्रस्तुत की प्रधानता होती है। नोट-यह अन्योक्ति का उल्टा होता है।

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