रूपक अलंकार की परिभाषा Roopak Alankar ki paribhasha
Roopak Alankar in Hindi जहाँ एक वस्तु (उपमेय) को उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाए. वहाँ रूपक अलंकार होता है।
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उदाहरण
ऊषो, मेरा हदय तल था एक उद्यान न्यारा ।
शोभा देती अमित उसमें कल्पना-क्यारियाँ थीं।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
प्रभात यौवन है वक्ष सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा।
शशि-मुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये।
सिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात। स्वयं ही मुरझा गया तेरा हृदय-जलजात।
सिंधु-बिहंग तरंग-पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।
चरण कमल बंदों हरिराई
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