व्यतिरेक अलंकार
Vyatirek Alankar in Hindi जब उपमेय को उपमान से बढ़ाकर उपमान को उपमेय से घटाकर वर्णन किया जाता है और कारण भी दिया होता है, तब व्यतिरेक अलकार होता है।
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उदाहरण
सिपमुख समता किमि करे चंदवापुरो रक ।
उदाहरण-सीता का मुख चन्द्रमा के समान कहा जाता है, परन्तु चन्द्रमा तो दिन में फीका हो जाता है और यह दिन-रात खिला रहता है।
जनम सिंधु पुनि बंधु विष, दिन मलीन सकलंक।
सिय मुख समता पाव किमि, चंद बापुरो रंक।।
जिनके यश प्रताप के आगे।
ससि मलीन रवि सीतल लागे।।
सिय मुख सरद- कमल जिमि किमि कहि जाय।
निसि मलीन वह, निसि दिन यह विगसाय।।
राधा मुख चन्द्र सा कहते हैं मतिरंक।
निष्कलंक है वह सदा, उसमें प्रकट कलंक।।
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