Kriya Kise Kahate hain | क्रिया किसे कहते हैं

Kriya Kise Kahate hain

Kriya Kise Kahate hain क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया की परिभाषा

Kriya Kise Kahate hain क्रिया व्याकरण में एक ऐसा भाव है जो किसी कार्य होने का बोध करता है। अर्थात किसी काम का होना क्रिया कहलाता है यह वाक्य का मुख्यांश होता है जो किसी काम का होना प्रदर्शित करता है। उदाहरण- राम खेल रहा है। इस वाक्य में खेल रहा है एक क्रिया है।

हिंदी व्याकरण में क्रियाओं को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।

कर्म क्रिया – जो क्रिया किसी वस्तु को करता है जैसे – लेना, देना, पढ़ना।

भाव क्रिया – जो क्रिया किसी भाव को दर्शाती है, जैसे “चाहना, पसंद करना, नफरत करना”।

स्थिति क्रिया – जो क्रिया किसी व्यक्ति या वस्तु की स्थिति को बताती है जैसे खड़ा होना, बैठ जाना, सोता होना।

इन तीनों वर्गों में विभिन्न प्रकार की क्रियाएं होती हैं जैसे सकर्मक, अकर्मक, पूर्वकालिक आदि।

क्रिया के उदाहरण (Kriya Ke Udahran)

क्रिया वाक्य में किसी काम या क्रिया को बताती है। यहां कुछ उदाहरण हैं –

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वह दौड़ती है।
मैं अपना काम कर रहा हूँ।
वह बैठता है।
हमें जाना होगा।
तुम जा सकते हो।
उसने किताबें लिखी हैं।
वे खेलते हैं।
मेरा बेटा बोलता है।
उसका समय खत्म हो गया।
मैंने खाना बनाया है।

धातु

क्रिया के मूल रुप या मूल अंश को धातु कहते हैं धातु के द्वारा ही क्रिया का निर्माण होता है
उदाहरण- चलना में चल धातु है और ना प्रत्यय जोड़कर क्रिया का निर्माण होता है।

धातु मुख्यता दो प्रकार की होती है- मूल धातु तथा योगिक धातु

मूल धातु वह होती है जो किसी पर निर्भर नहीं होती है अर्थात वह स्वतंत्र होती है उदाहरण – जा, खा, पी, रह आदि।

योगिक धातु– जब संज्ञा या विशेषण में प्रत्यय लगाकर किसी शब्द का निर्माण किया जाता है तो वह योगिक धातु कहलाती है।

रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद

रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं – रूढ़ क्रिया व यौगिक क्रिया ।

रूढ़ क्रिया : मूल धातु से बने क्रिया को ‘रूढ़ क्रिया’ कहते हैं। जैसे – पढ़ना, पढ़ा, पढ़ी, पढ़ेगा, पढ़ेगी आदि रूढ़ क्रियाएँ हैं । जिसकी रचना ‘पढ़’ मूल धातु से हुई है। इसी तरह लिखना,लिखा, लिखी, लिखेगा, लिखेगी आदि रूढ़ क्रियायें हैं, जो ‘लिख’
मूल धातु से बनी है।

यौगिक क्रिया : यौगिक धातु से बने क्रिया को यौगिक क्रिया कहते हैं। जैसे – बताना (नामधातु क्रिया), कहला देना (संयुक्त क्रिया), पढ़ाना (प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया) व पढ़वाना (द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया), खटखटाना (अनुकरणात्मक क्रिया)
यौगिक क्रिया चार तरह की होती है – नामधातु क्रिया, संयुक्त क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया और अनुकरणात्मक क्रिया ।

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नामधातु क्रिया किसे कहते हैं (Naamdhatu Kriya Kise Kahate hain)

नामधातु क्रिया वह क्रिया होती है जो नाम के अनुसार काम करती है। इसका उपयोग वाक्य में कर्ता के नाम के रूप में होता है और वह क्रिया जो सम्पूर्ण वाक्य के अर्थ को पूरा करती है। उदाहरण के लिए राम भाग्यशाली है। इस वाक्य में राम कर्ता है और भाग्यशाली नामधातु क्रिया है।

कुछ अन्य उदाहरण नामधातु क्रियाओं के हैं:

अनिल डाकिया है।
सोनिया वकील है।
नेहा डांसर है।
श्रीकांत पेंटर है।
अमित वकील होने जा रहा है।
इन सभी वाक्यों में कर्ता के नाम के बाद आने वाली क्रिया नामधातु क्रिया है।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं (Sanyukta Kriya Kise Kahate hain)

संयुक्त क्रिया दो या दो से अधिक क्रियाओं का समूह होता है जो एक ही कार्य को पूरा करने के लिए संयुक्त कार्य करते हैं। इन क्रियाओं में से पहली क्रिया मुख्य क्रिया होती है और दूसरी क्रिया उसे सम्पूर्ण करने के लिए सहायता करती है।

यहां कुछ उदाहरण संयुक्त क्रियाओं के हैं:

सोने से पहले अपने दाँत साफ़ करना
अपनी किताब पढ़कर अपना होमवर्क करना
भाग लेने से पहले खाना खाना
इन संयुक्त क्रियाओं में, पहली क्रिया (जैसे कि दाँत साफ़ करना, किताब पढ़ना या खाना खाना) मुख्य होती है और दूसरी क्रिया (जैसे कि सोना, होमवर्क करना या भाग लेना) इसे पूरा करने में सहायता करती है।

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प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं (Pradarthk Kriya Kise Kahate hain)

प्रेरणार्थक क्रिया उस क्रिया को कहा जाता है जो कर्ता को प्रेरित करती है । इसे प्रेरणार्थक क्रिया भी कहा जाता है।

सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Sakarmak Kriya Kise Kahate hain)

सकर्मक क्रिया जो क्रिया करने वाले के कर्म को संबोधित करती है। इसका अर्थ होता है कि क्रिया के विधान अनुसार जो कर्म किया जाता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। यह क्रिया करने वाले के साथ जुड़े हुए कर्म भी दर्शाती है।

उदाहरण – मैं एक पत्र लिख रहा हूँ। यहाँ लिख रहा हूँ एक सकर्मक क्रिया है।

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं (Akarmak Kriya Kise Kahate hain)

अकर्मक क्रिया एक ऐसी क्रिया होती है जो कुछ कार्य को नहीं करती है। इसे किसी भी शारीरिक या मानसिक क्रिया को न करने से संबंधित बताया जाता है। इसे एक निष्क्रिय अवस्था के रूप में समझा जाता है।

उदाहरण के लिए, सोना, बैठना, खड़े रहना, खाना खाना, देखना आदि सभी अकर्मक क्रियाएं हैं। इन क्रियाओं को करने से किसी न किसी प्रकार का कार्य नहीं होता है।

सहायक क्रिया किसे कहते हैं (Sahayak Kriya Kise Kahate hain)

सहायक क्रिया वह क्रिया होती है जो मुख्य क्रिया को सहायता प्रदान करती है।
उदाहरण- मैं घर जाता हूं यहां पर जाना मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया है

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