15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

vrind ke dohe

यहां हम महान कवि वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे Vrind ke Dohe पढ़ेंगे जो हमारे जीवन की दिशा को बदलने के लिए प्रेरित करेंगे इन के दोहे बहुत ही प्रेरणादाई होते हैं।

वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे Vrind ke Dohe

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।

अर्थ – निरंतर  प्रयास करने से एक मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है उदाहरण के तौर पर एक पत्थर पर रस्सी को बार-बार घिसने से उस पर निशान पड़ जाते हैं।

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

अपनी पहुँच बिचारि कै, करतब करिये दौर।
तेते पाँव पसारिये, जेती लाँबी सौर।।

अर्थ किसी व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी कार्य को करना चाहिए अर्थात व्यक्ति की जितनी चादर उतने पैर पसारना चाहिए।

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

विद्या धन उद्यम बिना, कहौ जु पावै कौन।
बिना झुलाए ना मिलै, ज्यौं पंखा का पौन।।

अर्थ कवि वृंद जी यह कहना चाहते हैं कि विद्या और धन बिना परिश्रम के नहीं प्राप्त होता है इसका उदाहरण है वह पंखे से देते हैं जिस तरह बिना पंखा डोला है हवा नहीं प्राप्त हो सकती है उसी तरह बिना परिश्रम के ज्ञान और धन की प्राप्ति नहीं होती है।

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

अन्य पढ़ें Kabir Ke Dohe

Kavi Vrind ke Dohe

बात कहन की रीति में, है अंतर अधिकाय।
एक वचन तैं रिस बढ़ै, एक वचन तैं जाय।।

 अर्थ कवि वृंद जी यह कहना चाहते हैं हर बात को कहने के 2 तरीके होते हैं एक तरीका है जिस तरह से व्यक्ति मोहित हो जाता है, जबकि दूसरा तरीका है जिस तरह से वह क्रोधित हो जाता है।

  Niti ke Dohe नीति के दोहे

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

भेष बनावै सूर कौ, कायर सूर न होय।
खाल उढ़ावै सिंह की, स्यार सिंह नहिं होय।

अर्थ कवि वृंद जी कहते हैं कि अगर कोई कायर व्यक्ति अगर शूरवीर का वेश धारण कर लेता है तो इससे कायर भी शूरवीर नहीं हो जाता है जिस तरह शेर की खाल ओढ़कर सियार सियार ही रहता है वह शेर नहीं हो जाता है।

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

धन अरु गेंद जु खेल को दोऊ एक सुभाय।
कर में आवत छिन में, छिन में करते जाय।।

अर्थ कवि वृंद जी कहते हैं कि धन और गेंद का स्वभाव एक जैसा होता है जो जीवन में धन का स्थान होता है वही स्थान गेंद का खेल में होता है धन जीवन में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास स्थानांतरित होता रहता है उसी तरीके के गेंद भी एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित होती रहती है।

Vrind ke Dohe in Hindi

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

दान-दीन को दीजै, मिटै दरिद्र की पीर।
औषध ताको दीजै, जाके रोग शरीर।।

अर्थ कवि वृंद जी कहते हैं कि दान हमेशा एक गरीब व्यक्ति को देना चाहिए जिससे उसे दरिद्रता दूर हो सके औषधीय में हमेशा उसी व्यक्ति को देना चाहिए जिसके जिसके शरीर में रोग हो।

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

अंतर अंगुरी चार को, सांच झूठ में होय।
सब माने देखी कही, सुनी न माने कोय।।

अर्थ कवि वृंद जी कहते हैं कि सत्य और झूठ में अंतर होता है जिस हमारी उंगली में चार होते हैं वही हम तो सच और झूठ क्यों होता है पहले हमें मन लगाकर सच और झूठ का पता लगाना चाहिए फिर यह फैसला करना चाहिए कौन सा सच है कौन झूठ ।

  ज्ञान पर दोहे 

15 + Vrind ke Dohe वृन्द के सर्वश्रेष्ठ दोहे

Kavi Vrind ke Dohe with Meaning

सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय।पवन जगावत आग कौ, दीपहिं देत बुझाय।।

वृंद कहते हैं कि बलवान मित्र की सहायता करने वाला हर व्यक्ति होता है निर्बल की सहायता करने कोई नहीं आता जिस प्रकार तीव्र हवा अग्नि की ज्वाला को और बढ़ा देती है लेकिन वही हवा दीपक को बुझा लेती है।

Vrind ke Dohe

मूरख को हित के वचन, सुनि उपजत है कोप।साँपहि दूध पिवाइये, वाके मुख विष ओप।।

कवि वृंद कहते हैं कि यदि किसी मूर्ख व्यक्ति को उसके मन मुताबिक बात नहीं कही जाती है तो उसके अंदर क्रोध आ जाता है यह उसी तरह है जिस तरह सांप को दूध पिलाने से उसके मुख में जहर रहता है।

Vrind ke Dohe

उत्तम विद्या लीजिये, यदपि नीच पै होय।
परो अपावन ठौर में, कंचन तजत न कोय।।

कवि वृंद कहते हैं कि यदि हमें अच्छा ज्ञान नीच प्रवृत्ति के व्यक्ति से भी ग्रहण कर लेना चाहिए क्योंकि ज्ञानिक सोने के समान है सोना चाहे अपवित्र या गंदे स्थान में पड़ा हुआ फिर भी सोने को कोई नहीं छोड़ता है उसे ग्रहण कर लेता है।

Vrind ke Dohe

Kavi Vrind ke Dohe Arth Sahit

अति हठ मत कर, हठ बढ़ै, बात न करिहै कोय।
ज्यौं- ज्यौं भीजै कामरी, त्यौं – त्यौं भारी होय।।

कवि वृंद कहते हैं कि ज्यादा हठ करना ठीक नहीं होता ऐसा करने से हठ बढ़ता ही रहता है हठ करने वाले व्यक्ति से कोई ज्यादा बात नहीं करता है जिस प्रकार कम्बल पानी के भीतर रहने से काफी भारी हो जाता है उसी तरह के व्यक्ति भी ज्यादा हठ हो जाता है।

  पाखंड पर कबीर के दोहे

Vrind ke Dohe

नैना देत बताय सब, हिये को हेत अहेत।
जैसे निरमल आरसी, भली-बुरी कही देत।।

कवि वृंद कहते हैं कि मनुष्य की आंखें सब कुछ बता देती हूं उसकी आंखें उसकी अच्छा और दोनों बदला देती हैं।

Vrind ke Dohe

मन भावन के मिलन के, सुख को नहिन छोर।बोलि उठै, नचि- नचि उठै, मोर सुनत घनघोर।।

कवि कहते हैं जिस तरह मोर बादलों को गरजते ही देखकर वह नाचने लगता है उसी तरह किसी व्यक्ति को अपने प्रिय व्यक्ति को देखकर उसके सुख की कोई सीमा नहीं रहती है।

आप सभी को Vrind ke Dohe के दोहे कैसे लगाएं। आशा करता हूं कि आपको वृंद के दोहे पसंद आए होंगे यदि आप हमें अपनी राय बताना चाहता है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं ।

अन्य पढ़ें

रहीम के दोहे

नीति के दोहे

बिहारी के दोहे

Share this

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *