रसखान के दोहे हिंदी अर्थ सहित Raskhan ke Dohe
रसखान के दोहे रसखान जी हिंदी साहित्य के भक्ति काव्य के प्रसिद्ध कवि थे उनकी रचनाएं भगवान श्री कृष्ण की प्रेम भक्ति को समर्पित है। रसखान के दोहे अपनी सरलता, मधुरता और सर्वदा सच्चाई प्रेम और भक्ति के कारण प्रसिद्ध है।
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कुछ प्रसिद्ध रसखान के दोहे
पै मिठास या मार के, रोम-रोम भरपूर।
मरत जियै झुकतौ थिरै, बनै सु चकनाचूर॥
हिंदी अर्थ : इस दोहे में रसखान जी श्री कृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हैं उनकी पायल कीमिठास से हर शरीर का हर हिस्सा रोम-रोम खुद से भर जाता है।
अति सूक्षम कोमल अतिहि, अति पतरो अति दूर।
प्रेम कठिन सब ते सदा, नित इकरस भरपूर॥
हिंदी अर्थ- प्रेम का स्वरूप अति सूक्ष्म, कोमल होता है परंतु प्रेम अत्यंत कठिन होता है और रस से भरपूर होता है।
इक अगी बिनु कारनहिं, इक रस सदा समान।
गनै प्रियहि सर्वस्व जो, सोई प्रेम प्रमान॥
हिंदी अर्थ : इस दोहे में रसखान जी प्रेम और समर्पण के बारे में कहते हैं। कि प्रेम कोई कारण नहीं चाहता है और जो चीजें हमारे लिए सबसे कीमती होती हैं वे हमारे प्रेम का प्रमाण होती हैं।
Raskhan ke Dohe in Hindi
मन लीनो प्यारे चितै, पै छटाँक नहिं देत।
यहै कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत॥
हिंदी अर्थ कवि रसखान कहते हैं जिसका मन प्रभु श्रीकृष्ण में लग गया उसके बदले से कुछ नहीं मिला है कभी कहते हैं मैंने यही पाठ पढ़ा है अपना सर्वस्व देने से कुछ मिलता है।
कहा करै रसखानि को, कोऊ चुगुल लवार।
जो पै राखनहार है, माखन चाखनहार॥
हिंदी अर्थ : इस दोहे का अर्थ है कि जो लोग भगवान का नाम लेते हैं और उनकी पूजा करते हैं, उन्हें कोई भी बाधा नहीं दे सकता। रसखान कहते हैं कि वे राखनहार हैं, जिसका अर्थ है कि उन्होंने अपने जीवन को भगवान के नाम में समर्पित कर दिया है। वे सभी को एक समान देखते हैं और उनके द्वारा किए गए कार्यों का मूल्य नहीं जानते हैं। इस दोहे में रसखान ने भक्ति और अनुशासन के महत्व को बताया है।
raskhan ke dohe in hindi with meaning
मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर नँदनंद।
अब बेमन मैं का करूँ, परी फेर के फंद॥
हिंदी अर्थ रसखान कहते हैं कि मेरा मन मानिक रूपी श्री कृष्ण के लिए ललचा गया है चित में श्री कृष्ण का दर्शन हो गया है। अब मैं बेमन क्या करूं मेरे पास भाग्य फेर के फंद हैं।
स्याम सघन घन घेरि कै, रस बरस्यौ रसखानि।
भई दिवानी पान करि, प्रेम मद्य मनमानि॥
हिंदी अर्थ रसखान जी कहते हैं मेरे मन में भगवान श्री कृष्ण का प्रेम उमड बरस रहा है जो मन को लुभाता है और मधुरता के साथ हर भाव को उद्दीपित करता है। जिसने भी इस प्रेम रस को पिया वह उसका दीवाना हो गया।
मोहनछबि रसखानि लखि, अब दृग अपने नाहिं।
अँचे आवत धनुष से, छूटे सर से जाहिं॥
हिंदी अर्थ रसखान जी कहते हैं कि भगवान श्री कृष्ण का सुंदर दर्शन करने के बाद अब यह आंखें मेरी आंखें नहीं रह गई है जिस तरह धनुष से बाण छूटने के बाद वह बाण वापस धनुष में नहीं आता उसी तरह भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने के बाद मेरा मन किसी अन्य वस्तु में लगता है।
जोहन नंदकुमार कों, गई नंद के गेह। मोहि देखि मुसिकाइ कै, बरस्यो मेह सनेह॥
हिंदी अर्थ रसखान जी भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए कहते हैं जैसे ही श्री कृष्ण का दर्शन करने नंद कि घर पर पहुंचे श्री कृष्णा उनको देखकर इस तरह मुस्कुराया प्रेम और स्नेह की वर्षा होने लगी।
ए सजनी लोनो लला, लह्यो नंद के गेह।चितयो मृदु मुसिकाइ के, हरी सबै सुधि गेह॥
हिंदी अर्थ रसखान जी कहते हैं भगवान श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान देखकर हम सब कुछ भूल जाता है और श्रीकृष्ण में खो जाते हैं।
प्रेम पर रसखान के दोहे
प्रेम लगी, केस धरि, कटै नहीं रीति रिवाज।
ऐसी रीति चलत है लाख, कोऊ तो बिरला बाज।।
इस दोहे में रसखान कहते हैं कि प्रेम जब लग जाता है, तो धर्म, रीति-रिवाज आदि कुछ भी कट नहीं सकते। इसकी रीति बहुत सारी होती है, लेकिन कोई भी उसे नहीं बदल सकता।
सजन लिखित न जानिये, जिय सब गवांव।
कागद कलम न लिखिये, प्रेम का उपदेश पांव।।
इस दोहे में रसखान कहते हैं कि सच्चे प्रेम में कोई लेख-पुस्तक आदि काम नहीं आते। यह सीख दिल में होती है और सजन के साथ जीवन को बिताने से मिलती है।
प्रेम हरी को रूप है, त्यौं हरि प्रेम स्वरूप। एक होइ द्वै यो लसै, ज्यौं सूरज अरु धूप॥
हिंदी अर्थ: रसखान जी कहते हैं कि प्रेम हरि का रूप है और हरि का रूप प्रेम है। जब हम प्रेम को भगवान कृष्ण के रूप में देखते हैं तो हम उनके साथ एक हो जाते हैं। इसी तरह जब हम हरि को प्रेम के रूप में देखते हैं तो हम अपने आसपास के सभी लोगों से प्यार करने लगते हैं।
प्रेम और हरि एक होते हैं जैसे सूरज और धूप एक होते हैं। सूरज और धूप दोनों ही आपस में जुड़े हुए होते हैं और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते। उसी तरह प्रेम और हरी एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते।
पै मिठास या मार के, रोम-रोम भरपूर।मरत जियै झुकतौ थिरै, बनै सु चकनाचूर॥
हिंदी अर्थ
अति सूक्षम कोमल अतिहि, अति पतरो अति दूर।प्रेम कठिन सब ते सदा, नित इकरस भरपूर॥
हिंदी अर्थ- प्रेम का स्वरूप अति सूक्ष्म, कोमल होता है परंतु प्रेम अत्यंत कठिन होता है और रस से भरपूर होता है।
इक अगी बिनु कारनहिं, इक रस सदा समान।गनै प्रियहि सर्वस्व जो, सोई प्रेम प्रमान॥
हिंदी अर्थ- जो व्यक्ति बिना कारण सदा प्रभु में खोया रहता है और अकेले में सदा प्रभु का चिंतन करता रहता है वह प्रभु को अपना स्तर वस्त्र समझता है यही सच्चा प्रेम है।
प्रेम प्रेम सब कोउ कहै, कठिन प्रेम की फाँस।प्रान तरफि निकरै नहीं, केवल चलत उसाँस॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं प्रेम की बातें तो सभी लोग करते हैं लेकिन प्रेम करने अत्यंत कठिन होता है जिस तरह तड़पता रहता उसकी सांस चला करती लेकिन उसके प्राण ने निकलते हैं।
प्रेम पर रसखान के दोहे अर्थ सहित
कहा करै रसखानि को, कोऊ चुगुल लवार।
जो पै राखनहार है, माखन चाखनहार॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसकी रक्षा करने वाले प्रभु श्री कृष्ण है उसका कौन क्या बिगाड़ सकता है।
मन लीनो प्यारे चितै, पै छटाँक नहिं देत।
यहै कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसके मन में प्रभु श्री कृष्ण का वास है कवि कहते हैं कि उन्होंने यही पाठ पढ़ा है कि पहले अपना सर्वस्व दो तब मुझसे कुछ मिलेगा।
प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ।
जो जन जानै प्रेम तौ, परै जगत क्यौं रोइ॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं प्रेम की बातें तो सभी लोग करते हैं लेकिन वास्तविकता में प्रेम को कोई नहीं जानता यदि कोई प्रेम का सच्चा अर्थ जान जाता है तो वह नश्वर संसार के लिए झूठे आंसू क्यों बहाये।
सास्रन पढि पंडित भए, कै मौलवी क़ुरान।
जुपै प्रेम जान्यौ नही, कहा कियौ रसखान॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं व्यक्ति शास्त्रों को पढ़कर पंडित बन जाता है कुरान को पढ़कर लोग मौलवी हो जाते हैं लेकिन जो व्यक्ति प्रेम को नहीं जानते उनके लिए सभी विद्या व्यर्थ हैं ।
स्याम सघन घन घेरि कै, रस बरस्यौ रसखानि।
भई दिवानी पान करि, प्रेम मद्य मनमानि॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसके मन में प्रभु श्री कृष्ण से प्रेम हो जाता है रसखान कहते हैं कि जिसने भी इस प्रेम रस को पिया वह उसका दीवाना हो गया।
प्रेम जो तजि बैर, विवाद, दोष।
तिनके तरवर उतरे, सो घट महिं फूल लोष।।
अर्थ: जो व्यक्ति बैर, विवाद और दोष को त्याग देता है, उसे प्रेम का फल मिलता है, जिससे उसका मन खुश होता है। इस प्रकार वह सम्पूर्ण जीवन के रस को अनुभव करता है।
प्रेम की बिना सब सूखे, प्रीति बिना नहिं कोय।
प्रीति बिना जग बैरी, प्रेम बिना सब होय।।
अर्थ: प्रेम के बिना सब कुछ शून्य हो जाता है और कोई भी वस्तु शेष नहीं रहती है। जब तक प्रीति नहीं होती है, तब तक संसार का सब वस्तु वैरी बन जाता है। प्रेम के बिना सब कुछ अधूरा हो जाता है।
तो यह कुछ चुने हुए रसखान के दोहे हिंदी अर्थ सहित ( Raskhan ke Dohe ) आपको कैसे लगे कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं ।