स्वप्नदोष | स्वप्नदोष की रामबाण दवा आयुर्वेदिक होम्योपैथिक दवा

स्वप्नदोष | स्वप्नदोष की रामबाण दवा आयुर्वेदिक होम्योपैथिक दवा

स्वप्नदोष की रामबाण दवा

 

नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम बात करेंगे स्वप्नदोष क्या है स्वप्नदोष क्यों होता है? स्वप्नदोष के लक्षण स्वप्नदोष की रामबाण दवा स्वप्नदोष की आयुर्वेदिक दवा स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा के विषय में तो आइये शुरुआत करते है 

स्वप्नदोष Swapandosh kya hai?

स्वप्नदोष रात अथवा दिन के समय गहरी नींद में सोते हुए बिना संभोग किये ही वीर्य के स्खलित हो जाने को ‘ स्वप्नदोष ‘ कहा जाता है । जिन्हें स्वप्नदोष होता है, वे लोग स्वप्न में किसी युवती, रमणी को देखते हैं, उसका आलिंगन आदि करते हैं और स्खलित हो जाते हैं । कुछ उदाहरण ऐसे भी पाये जाते हैं, जिसमें स्वप्न कुछ भी दिखाई नहीं देता, फिर भी वीर्यस्खलन हो जाता है ।
प्रायः वीर्य – स्खलित होते ही निद्रित व्यक्ति की आँख खुल जाती हैं और वह यह देखता है कि उसका अधोवस्त्र स्खलित वीर्य से तर हो गया है । कुछ लोग स्खलित हो जाने के बाद भी सोते ही रहते हैं और नींद से जागने पर ही उन्हें अपने वस्त्र देखकर पता चलता है कि सोते समय उन्हें स्वप्नदोष हुआ था ।
यह रोग प्रायः नवयुवकों को अधिक होता है । जो लोग विवाहित नहीं होते और जिन्हें स्त्री – प्रसङ्ग का अवसर नहीं मिलता, वे ही इससे ग्रस्त पाये जाते हैं । अविवाहित युवतियों को भी यह रोग होता है, परन्तु उन्हें धातुस्राव नहीं होता । केवल उत्तेजना मात्र होती है । परन्तु उस उत्तेजना के शान्त हो जाने पर शरीर एकदम निढाल सा हो जाता है । स्वाभाविक सम्भोग के बाद जो शिथिलता आती है, स्वप्नदोष – जन्य शिथिलता उससे अधिक अनुभव होती है ।
महीने में दो – चार बार स्वप्नदोष हो जाय तो उसे रोग नहीं समझना चाहिए । क्योंकि वीर्याशय जब सञ्चित वीर्य से लबालब भर जाता है तथा प्राकृतिक – सहवास द्वारा उसे निकाल नहीं दिया जाता तो वही स्वप्नदोष के माध्यम से स्वयं स्खलित हो जाता है । इस प्रकार होने वाले स्वप्नदोष को शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया कहा जा सकता है । परन्तु यदि स्वप्नदोष महीने में 8-10 बार अथवा प्रतिदिन अथवा एक – एक दिन में दो – तीन बार तक होने लगे, तब उसे अवश्य रोग ही समझना चाहिए और उचित चिकित्सा करनी चाहिए ।

स्वप्नदोष का मुख्य कारण Nightfall (Svapnadosh) ka mukhya kaaran

स्वप्नदोष क्यों होता है?अत्यधिक – संयम माना जाता है, परन्तु इसके अतिरिक्त अन्य कारणों से भी यह रोग हो जाता है । स्वप्नदोष के अन्य कारणों में कब्ज मुख्य है ।
स्वप्नदोष के अन्य कारणों में हैं- नाटक, सिनेमा, गर्म पदार्थों का सेवन, परन्तु भोग के लिए स्त्री का उपलब्ध न होना,
पहले गरम चर्चा में रुचि लेना, अधिक दिनों तक ब्रह्मचर्य – व्रत रखकर उसे बीच में ही देना तथा पुनः ब्रह्मचर्य का पालन करना, सुन्दरी – स्त्रियों के सम्पर्क में रहना, मैथुन, रात्रि – जागरण, दिन में सोना, मानसिक परिश्रम की अधिकता, मल – मूत्रादि ग को रोकना, रात के समय अधिक खाना – खाना तथा खाने के तुरन्त बाद ताना, रात्रि में सोने से पूर्व मूत्र – त्याग न करना तथा रात्रि में मूत्र – त्याग की इच्छा पर भी आलस्यवश न उठना या मूत्र के वेग को रोक लेना, सूर्योदय के बाद बस्तर पर लेटे अथवा सोते रहना, गरिष्ठ तथा भारी पदार्थों का सेवन, तथा चाय, कॉफी आदि का अधिक सेवन, नरम बिस्तर पर सोना, सिराहना तथा पाँयताना ऊँचा रखना, भाँग, चरस, गाँजा, शराब, तम्बाकू आदि -द्रव्यों का सेवन, अपनी पत्नी अथवा किसी अन्य स्त्री की याद में बेचैन रहना, को प्रसन्न न रखना, सदैव उदास रहना, खट्टे मीठे, गरम तथा चरपरे पदार्थ,
लालमिर्च, खटाई, प्याज, लहसुन, गुड़, हींग, राई, गरम मसाले, अचार, दही तथा तेल में पके हुए पदार्थों का अधिक सेवन करना, सुजाक अथवा हो जाने पर उस व्याधि का समूल नष्ट न होना, तथा शरीर में इनके अंश रहना,

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स्वप्नदोष के लक्षण Symptoms of NightFall

भूख में कमी,
कभी – कभी पेशाब में जलन,
दृष्टि – शक्ति में कमी,
आलस्य,
हर समय नींद की इच्छा,
हाथ – पाँव में जलन,
बेचैनी,
दिल की धड़कन का बढ़ जाना,
आँखों का भीतर गड्ढों में फँस जाना,
भ्रम, आँखों के चारों ओर काले अथवा नीले घेरे से दिखाई देना,
चित्त की अस्थिरता,
सिर में दर्द,
चेहरे पर पीलापन,
शरीर में शक्ति – क्षीणता, दिमाग का खाली – सा पड़ना,
सिर में चक्कर आना,
स्मरण – शक्ति की कमी,
आँखों के आगे अँधेरा – सा छाना अथवा चिनगारियाँ – सी उड़ती हुई सी दिखाई देना,
कमर तथा पीठ में दर्द,
अनिद्रा,
सीधा न बैठ पाना,
लेटे रहने की इच्छा,
आालस्य,
किसी काम में मन न लगना,
उदासी, प्रसन्नता का लोप,
हाथ – पाँव का आँपना अथवा सुन्न हो जाना,
रीढ़ की हड्डी का झुक जाना,

स्वप्नदोष के पथ्य

चना, गेहूँ, जौ, चने की दाल, अरहर की दाल, जी का हलवा या लपसी, जौ – निर्मित पदार्थ, मूंग अथवा चने की दाल के रस के साथ पुराने चावलों का भात, दूध की मिश्री मिली लस्सी, बबूल के गोंद – मिश्रित बेसन के लड्डू, पालक, मूली, गाजर, शलजम, ठण्डे पानी से स्नान, शारीरिक परिश्रम, चित्त की प्रसन्नता, व्यायाम तथा शीघ्र हज्म हो जाने वाले पदार्थों का सेवन – ये सब स्वप्रदोष के रोगी के लिए लाभदायक है।

स्वप्नदोष के अपथ्य

 काली मिर्च, तेल, खटाई, गरम मसाले, आलू, टिण्डे, मटर, अरबी, कचालू, गुड़, चीनी, लहसुन, प्याज, मांस, अण्डे, मदिरा, दही, सिरका, के लिए हितकर तथा पथ्य है ।
अचार, रायता, चाय, कॉफी, पुलाब, मादक पदार्थ, धूम्र – पान, स्त्री – प्रसङ्ग
, रात्रि – जागरण, दिन में सोना, मल – मूत्र आदि के वेग को रोकना, ईर्ष्या, भय, क्रोध, चिन्ता, उदासी, कामीजनों का संसर्ग, स्त्रियों का सम्पर्क, नृत्य – गायन, सिनेमा, थियेटर, नाटक तथा अश्लील चित्र देखना, कामोत्तेजक पुस्तकों का अध्ययन, हस्त – मैथुन, वेश्यालय में जाना, रात को देर से खाना तथा खाते ही सो जाना, अधिक परिश्रम, ठण्डी हवा, तेज धूप, अधिक सोना, परिश्रम न करना आदि स्वप्नदोष के रोगी के लिए अपथ्य हैं, अतः इससे बचे रहना चाहिए ।

स्वप्नदोष नाशक सामान्य योग स्वप्नदोष नाशक अन्यान्य औषधीय योग निम्नलिखित हैं

स्वप्नदोष की आयुर्वेदिक दवा

( 1 ) बबूल का गोंद 1 तोला को रात के समय आधा पाव पानी में भिगो दें । दूसरे दिन प्रातःकाल उसे मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 2 तोला मिश्री मिलाकर पी जायें ।यह स्वप्नदोष की अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। 21 दिन तक नियमित सेवन करते रहने से स्वप्रदोष दूर हो जाता है ।
( 2 ) बबूल के नर्म पत्तों तथा नर्म कलियों को छाया में सुखाकर पीस लें । फिर उसमें समभाग मिश्री मिलाकर रख लें, इस चूर्ण को नित्य प्रातः – सायं 6 माशे की मात्रा ताजा पानी के साथ सेवन करते रहने से स्वप्नदोष तथा सब प्रकार के प्रमेह शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं ।
( 3 ) प्रतिदिन प्रातःकाल एक पके हुए केले में 2-3 बूँद असली शहद मिलाकर सेवन करें । कुछ दिनों तक नियमित सेवन करते रहने से स्वप्नदोष तथा अन्य वीर्य – विकार दूर हो जाते हैं । यह वीर्य को गाढ़ा करता है तथा वीर्य – स्राव को रोक देता है। स्वप्नदोष की सबसे अच्छी दवा मानी जाती है 

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 ( 4 ) तीन से पाँच तोले गुलाब के ताजा फूलों को नित्य प्रातः – सायं मिश्री के साथ खाकर ऊपर से गाय का दूध पीते रहने से स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में हो जाता है ।
( 5 ) एक पाव मुलहठी को कूट – पीस छानकर रख लें । इस मुलहठी के चूर्ण 2 माशा में 1 तोला शुद्ध घी तथा 6 माशा शहद मिलाकर नित्य प्रातः – सायं चाटें तथा ऊपर से एक पाव धारोष्ण दूध पी लिया करें । इससे कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष दूर हो जाता है । यह वीर्य – स्तम्भक तथा पुष्टि – कारक भी है । यदि इसे लगातार 2-4 महीने तक सेवन कर लिया जाय तो स्तम्भन – शक्ति बहुत बढ़ जाती है तथा स्त्री प्रसङ्ग में अपूर्व आनन्द आता है ।
( 6 ) ताजा आँवलों का रस 1 तोला, ताजा नीमगिलोय का स्वरस 1 तोला, शुद्ध शिलाजीत 2 रत्ती तथा मिश्री 1 तोला । इन सबको मिलाकर नित्य प्रातः – सायं 40 दिन तक सेवन करते रहने से स्वप्नदोष नष्ट हो जाता है । शीतऋतु में सेवन करने पर मिश्री के स्थान पर शहद मिलाना चाहिए ।यह स्वप्नदोष की अच्छी आयुर्वेदिक दवा है
( 7 ) कतीरे का गोंद 15 तोला को शुद्ध घी में तल कर पीस लें, फिर उसमें 2 तोला ईसबगोल की भूसी तथा 1 तोला तवासीर मिला दें । मात्रा
तोला, एक मात्रा औषध खाकर ऊपर से गाय का दूध पी लें । इससे स्वप्नदोष शीघ्र दूर हो जाता है तथा दस्त भी साफ होता है ।
( 8 ) शतावर, मूसली, विदारीकन्द, सालममिसरी, असगन्ध, गोखरू, बंसलोचन तथा इलायची के बीज इनमें से किन्हीं एक, दो, तीन अथवा चार औषधियों को पीस – छानकर रख लें । मात्रा- 3 से 6 माशा तक चूर्ण को समभाग अथवा दूनी मिश्री मिलाकर जल या दूध के साथ सेवन करते रहने से स्वप्नदोष नहीं होता ।स्वप्नदोष की सबसे अच्छी दवा मानी जाती है
( 9 ) 4 रत्ती शुद्ध शिलाजीत को शहद में मिलाकर प्रातः – सायं नित्य चाटने तथा ऊपर से मिश्री मिला दूध पीने से सब प्रकार के प्रमेह तथा स्वप्नदोष र होते हैं ।
( 10 ) नागौरी असगन्ध, काली मूसली तथा तालमखाने के बीज, इन बको 5-5 तोला लेकर कूट – पीसकर कपड़छन कर लें । मात्रा 3 माशा, सुबह सायं । औषध लेकर ऊपर से मिश्री मिला हुआ गरम दूध पीयें । इसके नेयमित सेवन से स्वप्नदोष दूर हो जाता है तथा बल – वीर्य की वृद्धि होती हैस्वप्नदोष की सबसे अचूक  दवा मानी जाती है

स्वप्नदोष की रामबाण दवा

( 11 ) त्रिफले का काढ़ा अथवा जौ का काढ़ा रात के समय बनाकर रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पी जायें, जौ के काढ़े में थोड़ा – सा शहद मिला लेना चाहिए । इसके कुछ ही दिनों तक सेवन से स्वप्नदोष दूर हो जाता है ।

( 12 ) मुलहठी 3 माशा, अनार के फूल 4 माशा, काहू 3 माशा, गुलाब के फूल 2 माशा तथा संभालू के बीज 5 माशा इन सबको पीस – छान कर रख लें । नित्य प्रातः – सायं 3-3 माशा चूर्ण खाकर ऊपर से ताजा पानी पीने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष होना बन्द हो जाता है ।

( 13 ) 3 माशा हरड़ के चूर्ण को एक तोला शहद में मिलाकर प्रातः सायं चाटते रहने से स्वप्नदोष व प्रमेह दूर हो जाते हैं

( 14 ) सफेद मूसली 4 तोला, बहमन सफेद 4 तोला तथा ईसवगोल की भूसी 20 तोला लें । मूसली तथा बहमन को कूट – पीस कर छान लें तथा ईसवगोल की भूसी को उसमें वैसे ही मिला दें । इस चूर्ण को 6 माशे की मात्रा में समभाग मिश्री मिलाकर नित्य सेवन करने से तथा ऊपर से थोड़ा – सा गाय का दूध पीने से 30 दिन में स्वप्नदोष, प्रमेह व अन्य वीर्य – विकार नष्ट हो जाते हैं । यह स्वप्नदोष की रामबाण दवा मानी जाती है 

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( 15 ) बबूल के नर्म पत्तों को 6 माशे से 1 तोला तक की मात्रा में खाकर, ऊपर से ठण्डा पानी पी लेने मात्र से ही स्वप्नदोष तथा प्रमेह शीघ्र दूर हो जाते हैं ।स्वप्नदोष की घरेलु सबसे अच्छी दवा मानी जाती है

( 16 ) सूखे आँवलों का चूर्ण 4 माशे में समभाग मिश्री मिलाकर नित्यप्रातः – सायं 2 मास तक सेवन करते रहने से स्वप्नदोष तथा प्रमेह नष्ट हो जाते हैं ।स्वप्नदोष की सबसे अच्छी घरेलू दवा मानी जाती है

( 17 ) सूखे आंवलों का चूर्ण 6 माशे को शहद में मिलाकर चाटने तथा ऊपर से चीनी मिश्रित मॉड पीने से 21 दिन में ही स्वप्नदोष तथा कष्टसाध्य प्रमेह रोग दूर हो जाते हैं
( 18 ) शीतलचीनी का पिसा चूर्ण 2 माशे की मात्रा में नित्य रात को सोते समय खाकर, ऊपर से थोड़ा – सा ताजा पानी पी लेने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष ना बन्द हो जाता है । रात में यदि पेशाब की हाजत हो तो आलस्य किये बिना, व त्याग अवश्य करना चाहिए ।

( 19 ) चोबचीनी का पिसा – छना चूर्ण 1 तोला, मिश्री पिसी हुई 1 तोला तथा घी 1 तोला- इन तीनों को मिलाकर नित्य प्रातःकाल आठ दिन तक सेवन करते रहने से स्वप्नदोष में अपूर्व लाभ होता है ।

 ( 20 ) शतावर, कौंच की गिरी तथा तालमखाना तीनों एक – एक व, गोखरू दो छटाँक, केशर तथा जायफल 3-3 माशा एवं मिश्री तीन पाव न सबको कूट – पीस कर छान लें । मात्रा – 1-1 तोला चूर्ण को प्रातः – सायं कर ऊपर से गाय का धारोष्ण दूध पीने से स्वप्नदोष तथा प्रमेह नष्ट होते हैं ।

( 21 ) आधार सेर गाय के दूध में तीन नग छुहारे तथा 2-3 तोला श्री डालकर पकायें । जब दूध आधा रह जाय, तब छुहारों की गुठलियाँ निकाल । तत्पश्चात् छुहारों को खाकर ऊपर से यही दूध पी लें । इस प्रकार से दूध नित्य कुछ दिनों तक नियमित सेवन करते रहने से स्वप्नदोष तथा अन्य धातु – विकार होते हैं तथा बल – वृद्धि होती है । यह योग जाड़ों में लाभकारी है । ग्रीष्म तथा ऋतु में इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।

( 22 ) प्रवाल भस्म अथवा मुक्ता भस्म को शर्वत – खस, शर्वत – चन्दन शहद में मिलाकर चाटने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है तथा बल – वीर्य की वृद्धि है ।

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा Homeopathy treatment for NightFall

(1) एसिड – फास 12 ( दिन में 3 बार )
• हस्तमैथुन की आदत अथवा जननेन्द्रिय की शिथिलता के कारण स्वप्न – दोष हो जाने में लाभकारी है ।
(2)डिजिटेलिस 3x ( नित्य प्रात: काल )

ऐसिड फास ‘ से लाभ न होने पर इस औषध की एक मात्रा नित्य प्रात: नाश्ते के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करते रहने से स्वप्न – दोष
के कारण उत्पन्न हर प्रकार की कमजोरी दूर होती है । ।
(3) ऐग्नस – कैक्ट्स 6

 जननेन्द्रिय में दुर्बलता होते हुए भी प्रबल कामेच्छा । ( दिन में 3 बार )
जननेन्द्रिय का शिथिल हो जाना ।
सम्भोग के समय वीर्य ही न निकलना ।
(4) कोनायम 30

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा

 काम – वासना के उत्कृष्ट रहते हुए भी काम – शक्ति ( दिन में 3 बार )

• स्त्री – विहीन लोगों की बीमारी में विशेष हितकर ।
(5) थूजा Q

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा

स्वप्न – दोष के रोगी को इस औषधि के मूल – अर्क की ( 5 बूंद नित्य )
5 बँदें नित्य देने से लाभ होता है ।

स्वप्नदोष की होम्योपैथिक दवा

स्वप्नदोष के सभी लक्षणो पर काम करती है

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3 Comments

  1. मुझे नाइट फॉल्स बहुत होता है मैं क्या करूं मैं कॉन्फीडो दवा भी यूज कर रहा था फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ अब मैं क्या करूं मुझे नाइट फॉल्स जब होता है तो लगातार 10 15 दिन होता है नहीं होगा तो 15 या 20 दिन नहीं होगा गैस बनती है मुझे कोई अच्छी दवा बताइए जिससे मेरा नाइट फेल्स सही हो जाए इसके कारण धातु का भी प्रॉब्लम होने लगता है जब धातु सही होता है नाइटफाल होने लगता है

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