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चाणक्य नीति |
चाणक्य नीति के अनमोल वचन
1.
Table of Contents
चाणक्य नीति के अनमोल वचन अंधा कौन होता है
चाणक्य नीति के अनुसार कुछ प्राणी तो केवल जन्म से ही अंधे होते हैं । ऐसे लोग ऑखों से ‘ बिल्कुल नहीं देख पाते ।
कुछ लोग कामवासना का शिकार होकर इतने अंधे हो जाते हैं कि उन्हें आंखं रखते हुए भी कछ नजर नहीं आता, उनकी आंखों पर कामवासना की पट्टियां बंध जाती हैं ।
कुछ प्राणी लोभ में अंधे होकर,इस संसार की और किसी भी चीज की ओर देखने का प्रयत्न नहीं करते, लालच के परदे इनकी आंखों पर चढ़े रहते हैं ।
इसी तरह सावन के अंधे को इस संसार में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है ।
इसी तरह कुछ लोग नशे में भी अंधे हो जाते हैं ।
लोभी लोग भी एक प्रकार से अंधे होते है
चाणक्य नीति के अनमोल वचन
रहीम के दोहे
2 .
चाणक्य नीति के अनमोल वचन बुरे आदमी बुरे ही रहेंगे, ऐसे लोगों से कभी भी भलाई की उम्मीद न रखें ।
बुरा राजा के राज में न तो जनता सुखी रहेगी और न हो.उ ससे कभी जनता का भला होगा ।
बुरी औरत से कभी भला नहीं होगा, ऐसी औरत के घर में रहते हुए कभी भी शांति नहीं हो सकती । उस घर में कभी प्रेम न होगा, ऐसी औरत जिस घर में भी होगी वह धर नर्क की आग में जलता रहेगा
भले ही गुरू उन्हें कितनी ही शिक्षा देते रहें । मगर बुरे शिष्य कभी भी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते । जैसे चिकने घड़े पर पानी डाला जाए तो उस पर कोई प्रभाव नहीं होता । “
यह बात याद रखें जो जैसा भी है वह वैसा ही रहेगा ।
बुरे आदमी बुरे ही रहेंगे, ऐसे लोगों से कभी भी भलाई की उम्मीद न रखें ।
चाणक्य नीति सुविचार
3
कमजोरियों से लाभ उठाया जा सकता है
जैसे कि: ” अहंकारी को हाथ जोड़कर । ” ” मूर्ख को मनमानी करने की आजादी देकर । ” सचं बोलकर पंडित और विद्वान का दिल जीतकर । इस प्रकार से आप अपना मतलब पूरा भी कर सकते हैं, साथ ही लड़ाई – झगड़े से भी बच सकते हैं । किसी को अपने बस में करना यह एक कला है ।
चाणक्य नीति सुविचार
4.
इनके बीच मत जाओ
हल और बैल के बीच में से गुजरने से चोट लग सकती इसी प्रकार से बुद्धिमान लोगों को यह सलाह दी जाती है
इनके बीच मत जाओ जाओ ।
क्योंकि ब्राह्मण क़ुर्द्ध होकर श्राप दे सकता है । ‘
क्योंकि किसी तीसरे के आने से उजड़ जाता है ।
वे उन चीजों के बीच में न जायें जिनसे उन्हें अथवा किसी सरे को नुकसान पहुंचता हो ।
दो के बीच में तीसरा सदा नुकसान उठाता है ।
चाणक्य नीति सुविचार
5.
इनसे दूर रहे
हाथी को देखकर हजार हाथ दूर रहो घोडे से सौ हाथ दूर रहो और सींग वाले पशु को देखकर दस हाथ दूर हो जाओ, तो आपका बचाव हो सकता है ।
बुरे आदमी को देखकर आप वहां से केवल भागे ही नहीं बल्कि उस शहर को ही छोड़ कर भाग जाएं, क्योंकि बुरा आदमी कभी भी किसी समय आपको नुकसान पहुंचा सकता है ।
6.
चाणक्य नीति के अनमोल वचन सुन्दरता की शोभा केवल गुण से ही होती है
सुन्दरता की शोभा केवल गुण से ही होती है । स्त्री भले ही कितनी सुन्दर क्यों न हो, मगर गुण बिना बेकार है
यदि किसी भी प्राणी में गुण नहीं वह बिलकुल हीरे बिना तो वह बंजर धरती की भांति ही होती है । जिसमें व कोई फसल पैदा नहीं हो सकतीं । यही हाल उन पुरुषों का होता है, जो देखने में बड़े सुन्दर सेहतमन्द जवान, शक्तिशाली हैं, मगर यदि उनमें गुण नहीं तो सब बेकार होता.है।
उच्च कुल, अच्छे वंश का प्राणी यदि शील न हो तो वह गंवार है वंश की शोभा शील में है ।
विद्या के गुण उसकी सिद्धि में ही हैं ।
धन का गुण, उसके उपयोग से है । वही धन गुणवान और अच्छा माना जाता है, जिसका उपयोग आप अपने लिए करते हैं । वह सारा धन बेकार होता है । जिसे आप कंजूसी से जमा कर लेते हैं । बेकार पड़ा धन बेकार है, व्यर्थ है ।
7.
स्वभाव सब के अलग अलग
8.
चाणक्य नीति सुविचार विद्वान की हर स्थान पर पूजा होती है
विद्वान की हर स्थान पर पूजा होती है । ‘ शिक्षक कोई भी हो उसका सब स्थानों पर सम्मान होता है । अनपढ़ भले ही कितना ही धनवान वयों न हो, पढ़े – लिखे आदमी के सामने वह छोटा ही नजर आएगा, विद्वान व्यक्ति किसी भी देश में चला जाए, उसका सम्मान अवश्य ही होता है ।
शिक्षा की विशेषता जवानी, सुन्दरता, कुल से भी कहीं अधिक होती है । यही हर प्राणी का सबसे बड़ा साथी है ।
शराब पीने वाले, मांसाहारी लोग, निरक्षक पृथ्वी पर सबसे बड़ा वोझ होते हैं । उन्हें मनुष्य कहना बेकार है, उनसे तो पशु अच्छे होते हैं ।
9.
विद्वानों महान होते है
आकाश पर न तो कोई दूत जा सकता है, और न ही वहा पर सीधी बात – चीत करने का कोई साधन है ।
किन्तु
फिर भी विद्वान् लोग हजारों मील की दूरी पर बसे इस वायुमंडल में चांद, सितारों, गृहों, नक्षत्रों के बारे में सब कुछ बता देते हैं, तो ऐसे विद्वानों को हम महान तो कहेंगे ही, उनकी शिक्षा, बुद्धि भी महान् है ।
चाणक्य नीति के अनमोल वचन शत्रु कौन होता है
10.
शत्रु कौन होता है
10. कजूस का शत्रु भिखारी होता है । वह उसे सदा बुरी नजर ही देखता है ।
मूर्ख को उपदेशक अपने दुश्मन जैसा लगता है, क्योंकि चोरों को चांद अपना शत्रु लगता है ।
इस तरह आप जान ही सकते हैं कि हर प्राणी के शत्रु का अपना ही एक अन्दाज होता है, एक चीज किसी की शत्रु है तो वही दूसरे की मित्र बन जाती है ।
जो धर्म का पालन नहीं करते । शत्रूतासे ज्ञान से घृणा होती है ।
चरित्रहीन स्त्री को अपना पति भी शत्रु ही लगता है ।
जानवर कौन है? ऐसे पुरुष जानवर ही होते हैं, जो पढ़े – लिखे नहीं होते । जो दान – पुण्य नहीं करते जिनमें दया नहीं होती ।
ऐसे लोग जानवर होते हैं, ऐसे मनुष्य धरती पर बोझ हैं ।
11.
वास्तविक ज्ञान क्या है
जिसके पास अपनी बद्धि नहीं है, उसे यह शास्त्र पड़कर भी कोई फायदा नहीं होता । जैसे कोई अंधा शीशे में अपना चेहरा नहीं देख सकता । वैसे ही अज्ञानी शास्त्रों से ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता । किसी बात को तभी ग्रहण किया जा सकता है जबकि उसे ग्रहण क्या ज्ञान आएगा ।
जब उसे समझने की ताकत हो ।
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