सोलहवीं पुतली सत्यवती की कथा
सोलहवीं पुतली सत्यवती की कथा राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। […]
सोलहवीं पुतली सत्यवती की कथा राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। […]
पन्द्रहवीं पुतली सुन्दरवतीकी कथा राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। व्यापारियों का व्यापार […]
चौदहवीं पुतली सुनयना की कथा राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और […]
तेरहवीं पुतली कीर्तिमती की कथा- एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, […]
बारहवीं पुतली पद्मावती की कथा एक दिन रात के समय राजा विक्रमादित्य महल की छत पर बैठे थे। मौसम बहुत […]
ग्यारहवीं पुतली त्रिलोचनी की कथा राजा विक्रमादित्य बहुत बड़े प्रजापालक थे। उन्हें हमेंशा अपनी प्रजा की सुख-समृद्धि की ही चिन्ता […]
दसवीं पुतली प्रभावती कथा एक बार राजा विक्रमादित्य शिकार खेलते-खेलते अपने सैनिकों की टोली से काफी आगे निकलकर जंगल में […]
नवीं पुतली मधुमालती ने जो कथा उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कथा […]
आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजाने का शौक […]
एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द ले थे । बरसात का […]