By Hindiemejane Team

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मृगनयनी नामक छब्बीसवीं पुतली की कथा

मृगनयनी नामक छब्बीसवीं पुतली की कथा राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, […]

त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा

  त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा  राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी […]

चौबीसवीं पुतली करुणावती की कथा

  चौबीसवीं पुतली करुणावती की  कथा  राजा विक्रमादित्य का सारा समय ही अपनी प्रजा के दुखों का निवारण करने में […]

तेइसवीं पुतली धर्मवती कथा

तेइसवीं पुतली धर्मवती कथा एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत […]

अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली की कथा

 अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली की कथा   राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक सम्मान करते थे […]

चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा

चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा  एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयारी कर रहे थे। वे उस यज्ञ […]

बीसवीं पुतली ज्ञानवती की कथा

बीसवीं पुतली ज्ञानवती की कथा  राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों की बहुत कद्र करते […]

रुपरेखा उन्नीसवीं पुतली की की कथा

रुपरेखा उन्नीसवीं पुतली की की कथा राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए तो आते […]

सातवीं पुतली कौमुदी ने जो कथा

 सातवीं पुतली कौमुदी कथा एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने शयन-कक्ष में सो रहे थे। अचानक उनकी नींद करुण-क्रन्दन सुनकर टूट […]

विद्यावती नामक सत्रहवीं पुतली की कथा

विद्यावती नामक सत्रहवीं पुतली की कथा  महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प्रसन्न […]