श्याम नारायण पाण्डेय का जीवन परिचय | Shyam Narayan Pandey Jivani in Hindi
श्याम नारायण पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के डुमरांव गांव में श्रवण कृष्ण पंचमी संवत 1964 (1907 ई.) में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, श्याम नारायण पांडे संस्कृत अध्ययन के लिए काशी (वर्तमान बनारस) आए। उन्होंने काशी की साहित्यिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वे स्वभाव से सात्विक, हृदय से अच्छे स्वभाव वाले और आत्मा से अत्यंत निडर थे। पाण्डेय जी के मजबूत और स्वस्थ व्यक्तित्व में वीरता, सत्त्व और सरलता का अनुपम मिश्रण था। उनके संस्कार द्विवेदी युग के थे, भावना के विस्तार के लिए एक उपयोगितावादी और सीमित दृष्टिकोण दो दशकों से भी अधिक समय तक वे हिन्दी कवि-सम्मेलनों के मंच पर बहुत लोकप्रिय और सम्मानित रहे। उन्होंने खड़ी बोली में आधुनिक युग में वीर काव्य की परंपरा की स्थापना की। साल 1991 में इस महान की मृत्यु हो गयी ।
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रचनाएँ-
श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित प्रमुख रचनाएँ निम्न प्रकार हैं
1. ‘हल्दी घाटी’ (1937-39 ई०)
2. ‘जौहर’ (1939-44 ई०)
3. ‘तुमुल’ (1948 ई०)।
यह पुस्तक ‘त्रेता के दो वीर’ नामक खण्डकाव्य का ही परिवर्धित संस्करण है।
4. ‘रूपांतर’ (1948 ई०)
5. ‘आरती’ (1945-46 ई०).
6. ‘जय हनुमान’ (1956 ई०) उनकी प्रमुख प्रकाशित काव्य पुस्तकें हैं।
7. ‘माधव’, ‘रिमझिम’, ‘आँसू के कण’ और ‘गोरा वध’ उनकी प्रारम्भिक
लघु कृतियाँ हैं।
8. “परशुराम’ अप्रकाशित काव्य है तथा ‘वीर सुभाष’ रचनाधीन ग्रंथ है।
श्याम नारायण पाण्डेय के संस्कृत में लिखे कुछ काव्य-ग्रंथ भी अप्रकाशित ही हैं।
साहित्य में स्थान
श्यामनारायण पाण्डेय वीर रस के अद्भुत कवियों में से एक थे
। वे काशी के प्रसिद्ध साहित्याचार्य थे। उन्होंने चार महाकाव्य रचे, जिनमें इल्दीघाटी’ और ‘जौहर’ विशेष चर्चित हुए। ‘हल्दीघाटी’ में महाराणा प्रताप के जीवन और ‘जौहर’ में रानी पद्मिनी के आख्यान हैं। ‘हल्दीघाटी’ पर यामनारायण पाण्डेय को ‘देव पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था। अपनी ओजस्वी वाणी -कारण श्यामनारायण पाण्डेय कवि सम्मेलनों में बड़े लोकप्रिय थे।