मिल्खा सिंह का जीवन परिचय Milkha Singh Biography In Hindi
मिल्खा सिंह का जीवन परिचय मिल्खा सिंह एक भारतीय प्रसिद्ध धावक और एथलीट थे जिन्हे उड़न सिख और अंग्रेजी मे फ्लाइइंग सिख के नाम से जाना जाता है।इनका जन्म पाकिस्तान के लायलपुर में 8 अक्टूबर, 1935 को हुआ था। उनका जन्म राठौड़ वंश के एक राजपूत परिवार में हुआ थावह अपने माता-पिता के कुल 15 बच्चों में से एक थे। मिल्खा सिंह ने भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में अपने माता-पिता और भाई-बहनों को खो दिया।
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भारत के विभाजन के दौरान अनाथ हो गए थे मिल्खा सिंह 1947 में पाकिस्तान से भारत आ गए।भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिलखा सिंह ने अपने माँ-बाप और भाई-बहन खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से दिल्ली आए। दिल्ली में वह अपनी शदी-शुदा बहन के घर पर कुछ दिन रहे। उन्होंने कुछ समय पुराण किला में एक शरणार्थी शिविर में और दिल्ली में दोनों शाहदरा में एक पुनर्वास कॉलोनी में बिताया। यह सेना में था कि सिंह ने एक धावक के रूप में अपनी क्षमताओं का एहसास किया।
मिल्खा सिंह का जीवन परिचय मुख्य तथ्य
पुरा नाम Full Name मिल्खा सिंह
उपनाम फ्लाइंग सिख
जन्म तारीख Date of Birth 20 नवंबर 1929
जन्म स्थान Place of Birth गोविंदपुरा ,मुजफ्फरगढ़ नगर, पंजाब प्रांत (पाकिस्तान)
मृत्यु Death 18 जून 2021
नागरिकता Nationality भारतीय
पारिवारिक जानकारी Family Information
पिता का नाम Father’s Name Not Known
माता का नाम Mother’s Name Not Known
पत्नी का नाम Spouse Name निर्मल कौर
बच्चे Childrens जीव मिल्खा सिंह , सोनिया संवाल्का
अन्य जानकारी Other Information
सम्मान Awards पद्मश्री
कैरियर
जब उन्होंने कटक में हुए राष्ट्रीय खेलों में 200 तथा 400 मीटर में रिकॉर्ड तोड़ दिए तब मिल्खा सिंह का नाम सुर्ख़ियों में आया।उस वर्ष बाद में उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर स्वर्ण पर कब्जा किया, जो खेलों के इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स स्वर्ण था। उनकी इन्हीं सफलताओं के कारण 1958 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने 1960 के ओलंपिक खेलों में 400 मीटर में कांस्य पदक खो दिया सिंह ने 1962 के एशियाई खेलों में अपने 400 मीटर के स्वर्ण को बरकरार रखा और भारत की 4 × 400 मीटर रिले टीम के हिस्से के रूप में एक और स्वर्ण लिया
मिल्खा सिंह का नाम ‘फ़्लाइंग सिख’ कहे जाने के पीछे एक बडा कारण था। लाहौर में भारत-पाक प्रतियोगीता में एशिया के प्रतिष्ठित धावक पाकिस्तान के अब्दुल खालिक को 200 मीटर में पछाड़ते हुए तेज़ी से आगे निकल गए, ।मिल्खा सिंह के प्रदर्शन से प्रभावित होकर, पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान, जिन्होंने ऐतिहासिक दौड़ देखी थी, ने यह कहकर उनकी प्रशंसा की कि वह भागे नहीं, बल्कि उड़ गए। इस प्रकार मिल्खा ने प्रसिद्ध उपाधि प्राप्त की- द फ्लाइंग सिख
1960 रोम ओलिंपिक खेल,
1960 के रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह बहुत अच्छा प्रदर्सन करते हुये उन्होने 400 मीटर दौड़ की प्रथम हीट में द्वितीय स्थान (47.6 सेकंड) किया था।उन्होने सेमी फाइनल में 45.90 सेकंड में अमेरिकी खिलाड़ी को पराजित कर दूसरे स्थान को प्राप्त किया था
1962 के जकार्ता एशियाई खेल
उन्होने यहाँ भी अपनी योग्यता का लोहा आंवते हुए 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम किया
1964 के टोक्यो ओलिंपिक खेल
उन्होने यहाँ 4 X 400 मीटर रिले गेम में भाग लिया लेकिन वे फाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पाए
अवार्ड्स
बाद का कैरियर
सम्मान
मिल्खा सिंह की मृत्यु
मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में कोरोना वायरस के सक्रमण के कारण 18 जून 2021 को मृत्यु हो गई।
अन्य
मिल्खा सिंह ने अपने सभी पदक राष्ट्र को दान कर दिए हैं जो पटियाला के एक खेल संग्रहालय में जाने से पहले नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में प्रदर्शित किए गए थे ।
भाग मिल्खा भाग नामक प्रिसिद्ध बॉलीवुड मूवी भी बनी उन्होंने फिल्म निर्माता राकेश ओमप्रकाश मेहरा से केवल 1 रुपया ही स्वीकार किया ताकि उन्हें अपनी बायोपिक ‘भाग मिल्खा भाग ‘ बनाने की अनुमति दी जाए।
उन्होंने 2001 में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि यह ४० साल पहले दिया जाना था
1958 के एशियाई खेलों में मिल्खा की उपलब्धियों के सम्मान में, उन्हें भारतीय पुलिस रैंक के अधीनस्थ अधिकारी के पद से सम्मानित किया गया। और पंजाब शिक्षा मंत्रालय के खेल निदेशक बने और वर्ष 1998 में इस पद से सेवानिवृत्त हुए।