त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा
त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी […]
त्रिनेत्री नामक पच्चीसवीं पुतली की कथा राजा विक्रमादित्य अपनी प्रजा के सुख दुख का पता लगाने के लिए कभी-कभी […]
चौबीसवीं पुतली करुणावती की कथा राजा विक्रमादित्य का सारा समय ही अपनी प्रजा के दुखों का निवारण करने में […]
तेइसवीं पुतली धर्मवती कथा एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत […]
अनुरोधवती नामक बाइसवीं पुतली की कथा राजा विक्रमादित्य अद्भुत गुणग्राही थे। वे सच्चे कलाकारों का बहुत अधिक सम्मान करते थे […]
चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयारी कर रहे थे। वे उस यज्ञ […]
बीसवीं पुतली ज्ञानवती की कथा राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा ज्ञानियों की बहुत कद्र करते […]
रुपरेखा उन्नीसवीं पुतली की की कथा राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए तो आते […]
सातवीं पुतली कौमुदी कथा एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने शयन-कक्ष में सो रहे थे। अचानक उनकी नींद करुण-क्रन्दन सुनकर टूट […]
विद्यावती नामक सत्रहवीं पुतली की कथा महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी लोग संतुष्ट तथा प्रसन्न […]
सोलहवीं पुतली सत्यवती की कथा राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हुआ था। […]