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पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay
Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में वर्ष 1894 में खारागढ़ नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता बाबा पुन्नलाल बख्शी एक साहित्य प्रेमी और कवि थे। उनकी मां को भी साहित्य से प्यार था। इस प्रकार परिवार का साहित्यिक वातावरण मन में गहराता गया और ये छात्र अपने जीवन से कविताएँ लिखने लगे। पास करने के बाद बी.ए. साहित्यिक सेवा को अपना लक्ष्य बनाया, उन्होंने लघु कथाएँ और कविताएँ लिखना शुरू किया।आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी बख्शी जी से बहुत प्रभावित थे, उन्होंने ‘सरस्वती’ की बागडोर दी, बख्शी द्विवेदी जी ने 1920 से 1927 तक ‘सरस्वती’ के संपादन का कार्य कुशलता से किया। 18 दिसंबर 1971 ई. में आप 77 वर्ष की आयु में आपका देहांत हो गया ।
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay एक नज़र में
नाम Name पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
जन्म तारीख Date of Birth 1894 ई.
जन्म स्थान Place of Birth खैरागढ़ – जबलपुर मध्य-प्रदेश, भारत
मृत्यु Death 18 दिसंबर 1971 ई.
नागरिकता Nationality भारतीय
पारिवारिक जानकारी Family Information
पिता का नाम Father’s Name पुन्नालाल बख्शी
पत्नी का नाम Spouse Name लक्ष्मी देवी
अन्य जानकारी Other Information
प्रमुख रचनाएँ
कृतियाँ-
बख्शी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इनकी रचनाओं का विवरण निम्नवत् है1.
निबन्ध-संग्रह –
‘पंचपात्र’, ‘पद्मवन’, “तीर्थरेणु’, “प्रबन्ध-पारिजात’,
‘कुछ बिखरे पन्ने’, ‘मकरन्द बिन्दु’, ‘यात्री’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘तीर्थ .
सलिल’ आदि।
काव्य-संग्रह –
‘शतदल’ और ‘अश्रुदल’।
कहानी-संग्रह–
‘झलमला’ और ‘अञ्जलि’।
आलोचना-
हिन्दी-साहित्य विमर्श’, ‘विश्व-साहित्य’, ‘हिन्दी उपन्यास साहित्य’, ‘हिन्दी कहानी साहित्य’, ‘साहित्य शिक्षा’ आदि।
अनूदित रचनाएँ
जर्मनी के मॉरिस मेटरलिंक के दो नाटकों का
‘प्रायश्चित्त’ और ‘उन्मुक्ति का बन्धन’ शीर्षक से अनुवाद।
सम्पादन
‘सरस्वती’ और ‘छाया’।
साहित्य में स्थान
बख्शी जी एक भावुक कवि, सर्वश्रेष्ठ निबंधकार, निष्पक्ष आलोचक, कुशल पत्रकार और कहानीकार हैं। उन्होंने आलोचना और निबंध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विश्व साहित्य में उनकी गहरी पैठ है। उन्हें उनके सुंदर निबंधों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। विचारों की मौलिकता और शैली की नवीनता के कारण शुक्ल-युग के निबंधकारों में उनके निबंधों का हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान है।
Thank you so much sir itna achha padhane ke
Iiye sirab jaldi sa iske aage ka chapter karva digiye please👍👍👍✍️
Mai bhi apne site GoodGlo par bhi article publice hai jis me btaya gya hai ki blog website kya hota hai our kaise banaya