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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay
Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay जयशंकर प्रसाद एक हिंदी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार और निबंध-लेखक थे। जयशंकर प्रसाद हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। अन्य तीन आधार स्तम्भ हैं- महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ । जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ई.में वाराणसी में हुआ। उनका संबंध के वाराणसी के प्रसिद्ध ‘ सुँघनी साहू ‘ परिवार से था । जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम देवी प्रसाद था । जयशंकर प्रसाद के पूर्वज जौनपुर आकर बस गये थे । वहाँ पर उन्होंने तम्बाकू का व्यापार करना प्रारम्भ कर दिया ।उनकी शुरू की शिक्षा घर पर ही शुरू हुई। जयशंकर प्रसाद को संस्कृत, हिन्दी, फ़ारसी, और उर्दू आदि विष्यों के शिक्षक नियुक्त थे। जयशंकर प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी के क्वींस कॉलेज में हुई। लेकिन जयशंकर प्रसाद जी इस स्कूल में आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।प्रसाद के प्रारंभिक शिक्षक श्री मोहिनी लाल गुप्त थे। जयशंकर प्रसाद के पिता के यहाँ बहुत से कवि और विद्वान् आते रहते थे । साहित्यिक का प्रभाव उनको बचपन से ही था । उन्होंने नौ वर्ष की अवस्स्था में कविता करना प्रारम्भ कर दिया ।
जयशंकर प्रसाद जी का पारिवारिक जीवन सुखी नहीं था । बचपन में ही इनके माता – पिता की मृत्यु हो गयी ।अपने माता-पिता, बड़े भाई की असामयिक मृत्यु के कारण, परिवार का सारा बोझ उनके कंधों पर आ गया। वैभव के पालने में झूला झूलता उनका परिवार कर्ज के बोझ तले दब गया।और सत्रह वर्ष की आयु में इनके बड़े भाई का देहावसान हो गया । महज सत्रह साल की उम्र में प्रसाद को एक भारी जिम्मेदारी उठानी पड़ी। इन्होंने वेद , पुराण , इतिहास , साहित्य और दर्शनशास्त्र , आदि का स्वाध्याय से ही ज्ञान प्राप्त किया।
असमय में माता – पिता , बड़े भाई की मृत्यु के कारण परिवार का सारा बोझ इनके कन्धों पर आ गया । इनका परिवार जो पहले वैभव के पालने में झूलता था , वह ऋण के बोझ से दब गया । इसी बीच इनकी पत्नी का देहावसान हो गया । अत : इनको जीवन भर विषम परिस्थितियों से संघर्ष करना पड़ा । किन्तु फिर भी साहित्य साधना से मुख नहीं मोड़ा । चिंता ने शरीर को जर्जर बना दिया और अंततः वह तपेदिक के शिकार हो गए। मात्र 48 वर्ष की आयु में 15 नवम्बर 1937 में उनकी मौत हो गयी।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय Jaishankar Prasad Biography In Hindi
जन्म तारीख Date of Birth 30 जनवरी 1889
जन्म स्थान Place of Birth वाराणसी
मृत्यु Death15 नवम्बर 1937
नागरिकता Nationality भारतीय
पारिवारिक जानकारी Family Information
पिता का नाम Father’s Name बाबू देवीप्रसाद
माता का नाम Mother’s Name मुन्नी देवी
पत्नी का नाम कमला देवी
भाई बहन Sibling
अन्य जानकारी Other Information
सम्मान Awards छायावादी युग के जनक
जयशंकर प्रसाद साहित्यिक परिचय
जयशंकर प्रसाद जी जितने महान कवि हैं उतने ही महान गद्य लेखक भी हैं। गद्य लेखक के रूप में प्रसाद जी ने नाटक उपन्यास, कहानियाँ और निबंध लिखे हैं। एक कवि के रूप में उन्होंने महाकाव्यों, खंडकाव्य आदि की रचना की है। आप छाया काव्य के जनक हैं।
जयशंकर प्रसाद जी कृतियाँ
जयशंकर प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक महान कवि, सफल नाटककार, सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार, कुशल कहानीकार और गंभीर निबंधकार थे।
जयशंकर प्रसाद के नाटक
राज्यश्री , स्कन्दगुप्त , अजातशत्रु , चन्द्रगुप्त , ध्रुवस्वामिनी
जयशंकर प्रसाद के उपन्यास
कंकाल , तितली , इरावती ( अपूर्ण )
जयशंकर प्रसाद के कहानी संग्रह
छाया , प्रतिध्वनि , आकाश द्वीप , इन्द्रजाल और आँधी
जयशंकर प्रसाद के निबन्ध संग्रह
काव्य कला और अन्य निबन्ध
जयशंकर प्रसाद के काव्य संग्रह
चित्राधार , लहर , झरना , प्रेम पथिक , आँसू , कामायनी
भाषा
जयशंकर प्रसाद जी की भाषा सरस , मधुर और शुद्ध खड़ी बोली है । प्रसाद जी की भाषा में संस्कृत शब्दो की प्रधानता है किन्तु उसमें जटिलता के दर्शन नहीं होते । इसका कारण है कि उनकी भाषा भावों के अनुकूल है । उनका शब्द चयन समृद्ध और व्यापक है । उनकी भाषा में विदेशी शब्दों के प्रयोग भी नहीं मिलता है ।
शैली
उनकी रचनाओं में निम्न प्रकार की शैलियाँ पाई जाती हैं- वर्णनात्मक, चित्रात्मक, खोजपूर्ण और भावनात्मक। उपन्यासों और कहानियों में वर्णनात्मक शैली दिखाई देती है, जबकि खोजी शैली नाटकों और निबंधों में पाई जाती है। चित्रकला शैली रेखाचित्रों तथा प्रकृति-चित्रों में पायी जाती है।उनकी रचनाओं में निम्न प्रकार की शैलियाँ पाई जाती हैं- वर्णनात्मक, चित्रात्मक, खोजपूर्ण और भावनात्मक। उपन्यासों और कहानियों में वर्णनात्मक शैली दिखाई देती है, जबकि खोजी शैली नाटकों और निबंधों में पाई जाती है। चित्रकला शैली रेखाचित्रों तथा प्रकृति-चित्रों में पायी जाती है।
जयशंकर प्रसाद की मृत्यु
चिंता ने जयशंकर प्रसाद के शरीर को जर्जर बना दिया और अंततः वह तपेदिक के शिकार हो गए। मात्र 48 वर्ष की आयु में 15 नवम्बर 1937 में उनकी मौत हो गयी। अपने जीवन के अंतिम क्षण में भी, वह अपनी एक रचना “इरावती” पर काम कर रहे थे। जो कभी पूरा नहीं हो सकी ।
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