विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध

विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध Vigyan Vardan ya Abhishap Essay In Hindi

प्रस्तावना

Vigyan Vardan ya Abhishap Essay In Hindi आज का युग विज्ञान के चमत्कारों का युग है। विज्ञान ने जीवन के हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस समय विज्ञान की प्रगति ने दुनिया को चौंका दिया था। विज्ञान ने आविष्कारों को इतना अद्भुत दिखाया है कि दुनिया उन्हें देखती है और उनके बारे में सोचती है कि वे उनके दांतों के नीचे उंगलियां दबाते हैं। इन चमत्कारों ने मानव जीवन में चमत्कारी परिवर्तन लाए । विज्ञान की इस ‘अद्भुत’ उपलब्धि पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रकवि दिनकर ने कहा है
“यह समय विज्ञान का, सब भाँति पूर्ण समर्थ, खुल गए हैं गूढ़ संसृति के अमित गुरु अर्थ।।
वीरता तम को सँभाले बुद्धि की पतवार, आ गया है ज्योति की नव भूमि में संसार।।”

विज्ञान : एक वरदान

विज्ञान ने मानव को जो सुख-सुविधाएँ प्रदान की हैं उनका वर्णन सहज नहीं। जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में विज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान ने हमारी कल्पनाओं को वास्तविकता में बदला है। चन्द्र अभियान तथा मंगल अभियान जैसे अभूतपूर्व कार्य विज्ञान की सहायता से ही सम्भव हो पाए हैं। यह सत्य है कि विज्ञान ने असम्भव को असम्भव कर दिखाया है। विज्ञान ने लोगों को जीवन की अनेकानेक सुविधाएँ प्रदान कर उनका जीवन सरल, सुखमय तथा आनन्दयुक्त बना दिया है। बिजली के बल्ब, पंखे, हीटर, ग्रामोफोन, टेलीविजन, कम्प्यूटर और अब इण्टरनेट आदि न जाने कितने ही अद्भुत चमत्कार हैं, जिन्होंने मानव के अथक परिश्रम, बुद्धि, विवेक और कौशल का प्रदर्शन कर यह सिद्ध कर दिखाया है कि मानव सृष्टि की श्रेष्ठतम रचना है।

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चिकित्सा के क्षेत्र में

विज्ञान के चमत्कारों ने अद्भुत परिवर्तन ला दिखाया है। विज्ञान के आविष्कार एक्स-रे ने अब ऊँचाइयों के उन आयामों को छू लिया है, जिससे सम्पूर्ण शरीर के सूक्ष्मतम भागों को भी स्क्रीन पर स्पष्ट देखकर बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। शल्य चिकित्सा द्वारा असाध्य रोगों का निदान सम्भव है। अनेक प्रकार के वैक्सीन, टीकों आदि ने बहुत-सी भयंकर महामारियों; जैसे-प्लेग, टी बी आदि को जड़ से ही समाप्त कर दिया है। विज्ञान ने मानव की आयु को बढ़ा दिया है। बनावटी दिल, फेफड़े और अंग प्रत्यारोपण के द्वारा मृत्यु को बाँध लिया है। वैज्ञानिक रूप से विकसित देशों की औसत आयु निरन्तर बढ़ती जा रही है। अत: स्पष्ट है कि विज्ञान जीवनदायी शक्ति है।

विज्ञान ने मनुष्य की एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा को अत्यन्त सुगम बना दिया है। प्राचीन युग में लोग पैदल या बैलगाड़ी आदि द्वारा दिनों, महीनों या वर्षों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचते थे। अब यातायात के आधुनिकतम साधनों; जैसे रेलगाड़ी, मोटरगाड़ी, वायुयान आदि द्वारा यात्रा सरल हो गई है। वायुयानों, हेलीकॉप्टरों द्वारा युद्ध के स्थान पर अस्त्र शस्त्र, भोजन सामयी, पेट्रोल आदि सामान लगाया जा सकता है। भूकम्प या बान, पीदिन लोगों को भोजनादि की सहायता रहेगा सकती है। राडार द्वारा स विमान का पता लगाया जा सकता है। विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र में भी क्रान्ति ला दी है। कोटी , मामाकीत, रेडियो, टेलीविजन आदि से मनुष्य का जीवन सा रोचक और महाददा है। सिनेमा का उपयोग जहाँ मनोरंजन की पर्ति करता है, वहादसाक गदरायाम द्वारा शिक्षा जगत को भी पर्याप्त लाभ पहुंचाया जा सकता है। आज विहान १ विश्व की दरियों को सीमित कर दिया है। हम या मैट, मोबाइल मान द्वारा देश-विदेश में स्थित अपने मित्रों व परिजनों से बातचीत कर रही हैं। इसने हर क्षण आपस में सायना स्थापित करना मुलभ बना दिया है। यहीं रह कि आप दूर बैठे व्यक्ति से बातचीत करते हुए उसे देख भी सकते है। कण्मय ने बड़े-बड़े आंकड़ों की गणना, संग्रहाण आदि की व्यवस्था सम्मान कर दिखाई है, तो इण्टरनेट के माध्यम से किसी भी जानकारी को आप या मैट दिया में हासिल कर सकते हैं। विज्ञान ने कृषि के क्षेत्र में भी नवीनतम आविष्कार किए हैं। इनकी सहायता से खेती करने में समय तथा शक्ति की बच्चन के साथ-साथ धरती की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर अधिक उत्पादन सम्मन हो पाया है। विज्ञान की सहायता से छोटे-बड़े कारखाने तथा अनेक प्रकार की मशीन घण्टों का काम मिनटों में कर दिखाती हैं। विज्ञान के ये सभी चमत्कार यह सिद्ध कर देते हैं कि विज्ञान मानव के लिए वरदान है।

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विज्ञान एक अभिशाप

जब हम विज्ञान के दूसरे पक्ष की ओर दृष्टि डालने हैं, तो उसकी भयावहता को देखकर सारा उत्साह समाप्त हो जाना है। विज्ञान द्वारा होने वाले सम्भावित विनाश की कल्पना मात्र से हृदय काँप उठता है। द्वितीय महायुद्ध में अमेरिका ने जापान पर एटम बम गिराकर वहाँ के हिरोशिमा और नागासाकी नगरों को भस्म कर दिया था। आज विज्ञान ने अणु बम, हाइड्रोजन बम, विभिन्न मिसाइलों के अतिरिक्त परमाणु एवं जैविक बम आदि को तैयार कर मानवता को विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है। हिरोशिमा एवं नागासाकी पर गिरे बमों के ‘भयंकर परिणाम आज भी दृष्टिगत होते हैं। इसमें कुछ विरले लोग ही बच पाए थे, वे अपंग, लाचार व अन्धे हो चुके थे। उस समय सारी दुनिया त्राहि-त्राहि कर उठी थी। वह विनाशकारी हादसा विश्व कभी नहीं भुला पाएगा। इन घातक शस्त्रों के निर्माण ने मानवता को न जाने कितनी बार रक्तरंजित कर कीचड़ भरे घाटों पर घसीटा है और यह सिद्ध कर दिखाया है कि सभ्यता के चरम पर पहुँचकर भी उसकी पशुता अभी समाप्त नहीं हुई है। विज्ञान से सबसे बड़ी हानि यह है कि उसने मनुष्य को नास्तिक, निकम्मा तथा आलसी बना दिया है। वह ईश्वर, आत्मा, परमात्मा, धर्म, पाप-पुण्य को नकारने लगा है। शारीरिक परिश्रम के महत्त्व से अनजान हो वह मशीनों का दास बन गया है तथा अपने स्वास्थ्य एवं बल का निरन्तर ह्रास कर रहा है। अपनी शक्तियों को मशीनों में निहित कर वह स्वयं को शक्तिहीन एवं निर्बल बना रहा है। इसके अतिरिक्त विज्ञान की देन उसे कई क्षेत्रों में चारित्रिक पतन की ओर भी ले जा रही है और इस प्रकार वह अपने नैतिक मूल्यों को खोता जा रहा है। नैतिक मूल्यों में आने वाली गिरावट मनुष्य को पतन के गर्त में धकेल देने के लिए पर्याप्त होती है।

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उपसंहार

यदि वैज्ञानिक उपलब्धियों पर ध्यान दें तो निश्चय ही विज्ञान वरदान है, किन्तु विज्ञान ने मानवता और संस्कृति को बड़ी ठेस भी पहुँचाई है।

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