Tides in Hindi | ज्वार भाटा क्या है | ज्वार भाटा के प्रकार

Tides in Hindi ज्वार भाटा

ज्वार भाटा क्या है Jwar bhata kya hai

Tides in Hindi सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने को ज्वार भाटा( Jwar bhata ) कहा जाता है। इससे उत्पन्न होने होने वाली तरंगों को ज्वारीय तरंग कहते हैं। सागरी जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार तथा उस समय निर्मित उच्च जल तल को उच्च ज्वार तथा सागरी जल के नीचे गिर कर वापस लौटने को भाटा तथा उससे निर्मित निम्न जल को निम्न ज्वार कहते हैं। इन दो तलों के बीच औसत सागरतल होता है

  भिन्न-भिन्न स्थानों पर ज्वार भाटा की ऊंचाई भी अलग-अलग होती है। यह भिन्नता जल की गहराई तथा सागर के तट पर निर्भर करती है।

 ज्वार की उत्पत्ति

 महासागरीय जल में ज्वार की उत्पत्ति चंद्रमा और सूर्य की आकर्षण बलों द्वारा होती है। पृथ्वी का व्यास 12800 किलोमीटर है पृथ्वी की सतह केंद्र की अपेक्षा चंद्रमा से 64 किलोमीटर नजदीक है

 चंद्रमा का केंद्र पृथ्वी के केंद्र से 384800 किलोमीटर दूर है। इस कारण चंद्रमा के सामने स्थित भाग पर चंद्रमा की आकर्षण शक्ति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है तथा उसके पीछे स्थित भाग पर सबसे कम प्रभाव पड़ता है।

 जिसके कारण चंद्रमा के सामने स्थित पृथ्वी का जल उठ जाता है जिस कारण उच्च ज्वार उत्पन्न होता है। इस स्थान के ठीक पीछे की ओर निम्न ज्वार उत्पन्न होता है चंद्रमा के केंद्र उन्मुक्त आकर्षण बल की प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न केंद्र प्रसारित बल के कारण जल का बाहर की ओर उठ जाता है इस कारण 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार भाटा आते हैं।

 जब सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो दोनों की आकर्षण शक्ति मिलकर एक साथ कार्य करती है तथा उस स्थान पर उच्च ज्वार आता है ऐसा पूर्णमासी तथा अमावस्या को होता है।

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 इसके विपरीत जब सूर्य पृथ्वी तथा चंद्रमा मिलकर समकोण बनाते हैं उस स्थिति में सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण बल एक दूसरे के विपरीत कार्य करते हैं इस कारण निम्न ज्वार आता है यह स्थिति प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होती है।

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ज्वार भाटा के प्रकार

पृथ्वी पर सागरीय जल में ज्वार भाटा का प्रत्यक्ष संबंध चंद्रमा तथा सूर्य की आकर्षण शक्ति से चंद्रमा अपनी धुरी पर चक्कर लगाता हुआ पृथ्वी की परिक्रमा करता है जबकि पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाती हुई सूर्य की परिक्रमा करती है इस दौरान पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के बीच कई प्रकार की स्थिति उत्पन्न होती है। जिस कारण ज्वार उत्पादक बलों में अंतर आ जाने से ज्वार के कई प्रकार में विभक्त किया जा सकता है।

पूर्ण अथवा दीर्घ ज्वार (Spring Tide in Hindi)

सूर्य तथा चंद्रमा की सापेक्ष में परिवर्तन होता रहता है जब सूर्य पृथ्वी तथा चंद्रमा सरल रेखा में होते हैं तो इस स्थिति को युति या सिजिगी कहते हैं इनमें से जब सूर्य चंद्रमा तथा पृथ्वी क्रम से एक सीध में होते हैं अर्थात जब सूर्य तथा चंद्रमा दोनों पृथ्वी की एक और होते हैं तो उससे युति कहते हैं और जब सूर्य तथा चंद्रमा के बीच पृथ्वी की स्थिति होती है तो उसे वियुति कहते हैं इसके विपरीत जब सूर्य पृथ्वी तथा चंद्रमा समकोण की स्थिति में होते हैं तो उसे समकोण की स्थिति कहते हैं।

युति की तिथि अमावस्या तथा वियुति की स्थिति पूर्णमासी को होती है इन स्थितियों में सूर्य तथा चंद्रमा की एक सीधी रेखा में स्थिति के कारण चंद्रमा तथा सूर्य के आकर्षण बल साथ मिलकर कार्य करते हैं।इस कारण उच्च ज्वार आता ह। इस ज्वार की ऊंचाई सामान्य ज्वार से लगभग 20% अधिक होती है इस तरह से दीर्घ ज्वार महीने में दो बार आवश्यकता पूर्णमासी को आता है तथा इनका समय निश्चित होता है दीर्घ ज्वार के समय भाटा की नचाई सर्वाधिक होती है।

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लघु ज्वार (Nipe Tide in Hindi)

प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष कृष्ण पक्ष की सप्तमी को अष्टमी सूर्य तथा पृथ्वी तथा चंद्रमा समकोण की स्थिति में होते हैं अर्थात यह मिलकर समकोण बनाते हैं परिणाम स्वरूप सूर्य तथा चंद्रमा के ज्वार उत्पादक बल एक-दूसरे के विपरीत कार्य करते हैं जिस कारण सामान्य ज्वार से भी नीचे ज्वार आता है इसे लघु ज्वार कहा जाता है यह सामान्य से लगभग 20% नीचे होता है इस समय भाटा के नीचे आई सामान्य भाटा से कम होती है परिणाम स्वरूप ज्वार भाटा की जल की ऊंचाई का अंतर बहुत कम होता है।

अयन वृत्तीय तथा भूमध्यरेखीय ज्वार

सूर्य के समान चन्द्रमा की भूमध्यरेखा के संदर्भ में उत्तरायण तथा दक्षिणायन स्थितियाँ होती हैं। यदि सूर्य की ये स्थितियाँ एकवर्ष में पूर्ण होती हैं, तो चन्द्रमा इसे 27.5 दिन के संयुति मास (synodic month) में पूरा कर लेता है। जब चन्द्रमा का उत्तर की ओर अधिकतम झुकाव होता है तो चन्द्रमा की किरणें ज्वार केन्द्र पर लम्बवत् पड़ती हैं जिस कारण उच्च ज्वार आता है तथा वह कर्क रेखा के सहारे पश्चिम दिशा की ओर अग्रसर होता है।

कर्क रेखा के ज्वार केन्द्र के विपरीत स्थित मकर रेखा के सहारे भी उच्च ज्वार आता है। इस प्रकार कर्क तथा मकर रेखाओं के समीप आनेवाला क्रमिक ज्वार तथा भाटा अँसमान ऊँचाई वाले होते हैं। इस तरह के ज्वार-भाटे सामान्य ज्वार-भाटे से क्रमशः अधिक ऊँचे तथा नीचे होते हैं। परन्तु दूसरे दिन के ज्वार में अन्तर नहीं होता है। इस तरह की ज्वार की घटना को दैनिक असमानता कहते हैं। यह स्थिति महीने में दो बार होती है जब कि चन्द्रमा का अधिकतम झुकाव होता है। इन स्थितियों में कर्क तथा मकर रेखाओं के पास आने वाले ज्वार को अयनवृत्तीय ज्वार कहते हैं ।

प्रत्येक महीने में चन्द्रमा भूमध्यरेखा पर लम्बवत् होता है, जिस कारण दैनिक असमानता लुप्त हो जाती है, क्योंकि दो उच्च ज्वारों की ऊँचाई तथा दो निम्न ज्वारों की ऊँचाई समान होती है। इसे भूमध्यरेखीय ज्वार कहते हैं।

अपभू तथा उपभूज्वार

चन्द्रमा अपने अण्डाकार कक्ष के सहारे पृथ्वी की परिक्रमा है । जब चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम होता है तो उसे चन्द्रमा की उपभू स्थिति कहते हैं । इस स्थिति में चन्द्रमा का ज्वारोत्पादक बल सर्वाधिक होता है जिस कारण उच्च ज्वार उत्पन्न होता है जो कि सामान्य ज्वार से 15 से 20 प्रतिशत तक बड़ा होता है।

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इसे उपभू या भूमि नीच ज्वार कहते हैं। इसके विपरीत जब चन्द्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर स्थित होता है तो उसे अपभू स्थिति (apogee) कहते हैं । इस समय चन्द्रमा का ज्वारोत्पादक बल न्यूनतम होता है जिस कारण लघु ज्वार उत्पन्न होता है । जो कि सामान्य ज्वार से 20 प्रतिशत छोटा होता है। इसे अपभू या भूमि उच्च ज्वार (apogean tide) कहते हैं। जब कभी भी दीर्घ ज्वार (spring tide) तथा उपभू ज्वार एक साथ आते हैं, तो ज्वार की ऊँचाई असामान्य हो जाती है। इसी तरह जब लघु ज्वार (neap tide) तथा उपभू ज्वार एक साथ आते हैं तो ज्वार भाटा का जल-तल अत्यन्त कम हो जाता है ।

दैनिक ज्वार ( Daily Tide)

किसी स्थान पर एक दिन में आनेवाले एक ज्वार तथा एक भाटा को ‘दैनिक ज्वार भाटा कहते हैं। यह ज्वार प्रतिदिन 52 मिनट की देरी से आता है। इस तरह का ज्वार चन्द्रमा के झुकाव के कारण आता है ।

 अर्द्धदैनिक ज्वार (Semi-daily Tide )

किसी स्थान पर प्रत्येक दिन दो बार आने वाले ज्वार को अर्द्धदैनिक ज्वार कहते हैं। प्रत्येक ज्वार 12 घण्टे 26 मिनट बाद आता है। यह ज्वार, ज्वार के दो केन्द्रों के कारण आता है। दोनों ज्वारों की ऊँचाई तथा दोनों भाटा की निचाई समान होती है।

 मिश्रित ज्वार (Mixed Tide )

किसी स्थान में आने वाले असमान अर्द्धदैनिक ज्वार को ‘मिश्रित ज्वार’ कहते हैं । अर्थात् दिन में दो ज्वार तो आते हैं परन्तु एक ज्वार की ऊँचाई दूसरे ज्वार की अपेक्षा कम तथा एक भाटा की निचाई दूसरे की अपेक्षा कम होती है।

निष्कर्ष : ज्वार भाटा ( Tides in Hindi ) पृथ्वी पर चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण समुद्र की पानी की सतह के नियमित उत्थान और पतन को ज्वार भाटा कहते है।

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