Samas kise kahate hain | समास किसे कहते हैं

Samas Kise Kahate Hain

Samas kise kahate hain समास किसे कहते हैं

इस पोस्ट में आप जानेंगे समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain) समास की परिभाषा, उदाहरण एवं उसके भेद के बारे में। हिंदी व्याकरण मैं समास बहुत ही उपयोगी चैप्टर होता है। आइए समझते हैं समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahate Hain) समास की परिभाषा, उदाहरण एवं उसके भेद के बारे में ।

समास किसे कहते हैं? (Samas Kise Kahate Hain)

दो या दो से अधिक पदों को जोड़कर एक नया पद बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। उदाहरण- “सुन्दर वन” शब्द में “सुन्दर” और “वन” दोनों पद होते हैं जो मिलकर एक नया पद “सुन्दर वन” बनाते हैं।

समास विग्रह

विग्रह का अर्थ होता है अलग करना
यह समास के विपरीत होता है होता है जब दो शब्दों का समुच्चय नहीं होता है। विग्रह शब्दों को अलग-अलग करने की क्रिया होती है। अर्थात
सभी पदों को अलग करने की प्रक्रिया समास विग्रह कहलाती है। यह विभिन्न कारणों से होता है, जैसे कि अशुद्ध वाक्य निर्माण, वाक्यार्थ में अस्पष्टता, समझ में विसंगति आदि।

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उदाहरण:

समास: दूरदर्शन (दूर+दर्शन)

विग्रह: दूर पर दर्शन

समास: स्वाधीनता (स्व+आधीनता)

समास विग्रह: स्वयं के आधीनता

समास के प्रकार

अव्ययीभाव समास
द्वंद्व समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
बहुव्रीहि समास
द्विगु समास

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अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?(Avyayibhav Samas Kise Kahate Hain)

अव्ययीभाव समास वह समास है जिसमें समास बनाने वाले दोनों पदों में से पहले वाला पद एक अव्यय होता है दूसरा पद या उत्तर पद गौण होता है। ऐसे समास को अव्ययीभाव समास कहा जाता है। उदाहरण के लिए आजन्म में आ एक अव्ययी शब्द है लेकिन दोनों के संयोग से एक अर्थपूर्ण शब्द बनता है।

अव्ययीभाव समास के उदाहरण

हाथों हाथ – एक हाथ से दूसरे हाथ में

हरफ़नमौला – हर फन में मौला

अनुरूप – रूप के योग्य

यथासंभव – जैसा संभव हो

प्रतिदिन – दिन-दिन

बीचों-बीच – ठीक बीच में

आजन्म – जन्म से लेकर

आमरण – मरण तक

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? (Tatpurush Samas Kise Kahate Hain)

तत्पुरुष समास में उत्तरपद प्रधान होता है और पूर्वपद गौण होता है ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। उदाहरण:

धर्म का ग्रन्थ : धर्मग्रन्थ

राजा का कुमार : राजकुमार

तुलसीदासकृत : तुलसीदास द्वारा कृत

तत्पुरुष समास के प्रकार :-

  असंगति अलंकार Asangati Alankar

कर्म तत्पुरुष – इसमें कारक चिन्ह का लोप हो जाता है ।
उदाहरण:

ग्रन्थ को लिखने वाला – ग्रंथकार

रथ को चलाने वाला – रथ चालक

शिल्प को बनाने वाला – शिल्पकार

यश को प्राप्त करने वाला – यशप्राप्त

करण तत्पुरुष – ‘ इसमें कारक चिन्ह से तथा के द्वारा लोप हो जाता है।

उदाहरण:

वाल्मीकि के द्वारा – रचितवाल्मिकिरचित

नेत्र से हीन – नेत्रहीन

कर्म से हीन – कर्महीन

सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें कारक चिन्ह ‘के लिए’ का लोप हो जाता है।

उदाहरण:
सत्य के लिए आग्रह – सत्याग्रह

स्नान के लिए घर – स्नानघर

पाठ के लिए शाला – पाठशाला

हाथ के लिए कड़ी – हथकड़ी

देश के लिए भक्ति – देशभक्ति

अपादान तत्पुरुष – इसमें कारक चिन्ह ‘से’ का लोप हो जाता है।
उदाहरण:

पथ से भ्रष्ट-पथभ्रष्ट

देश से निकाला – देशनिकाला

गुण से हीन – गुणहीन

सम्बन्ध तत्पुरुष –इसमें कारक चिन्ह ‘का’, ‘के’, ‘की’ आदि का लोप हो जाता है। उदाहरण:
राजा की सभा – राजसभा

ग्रंथों का आलय – ग्रंथालय

देश की रक्षा – देशरक्षा

पशुओं की रक्षा – पशुरक्षा

अधिकरण तत्पुरुष –इसमें कारक चिन्ह ‘में’ और ‘पर’ का का लोप हो जाता है।
उदाहरण:
जलसमाधि – जल में समाधि

कला में श्रेष्ठ – कलाश्रेष्ठ

गृह में प्रवेश – गृहप्रवेश

कर्मधारय समास किसे कहते हैं? (Karmadarya Samas Kise Kahate Hain)

वह समास जिसमें पहला पद और दूसरे पर के बीच विशेषण विशेष्य या उपमान उपमेय का संबंध पाया जाता है उसे कर्मधारय समास कहते हैं । इसको पहचानने का सबसे सरल तरीका इसका विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ ‘के समान’ आदि आता है। उदाहरण :

  उपमा अलंकार - परिभाषा - उदाहरण - Upma Alankar in Hindi

कमल के समान नयन – कमलनयन

कनक की सी लता – कनक लता

नीला है जो कमल – नीलकमल

द्वंद समास किसे कहते हैं? (Dwand Samas Kise Kahate Hain)

वह समास जिसमें दोनों पद प्रधान हो द्वंद समास कहलाता है

इसको पहचानने का आसान तरीका उसको विग्रह करने पर ‘और’, ‘एवं’, ‘या’ , ‘अथवा’ आदि आता हैं। इसमें दोनों पदों के बीच में ( – ) लगा होता है। उदाहरण-

दाल और रोटी – दाल-रोटी

पाप और पुण्य – पाप-पुण्य

गाड़ी और घोड़ा – गाड़ी-घोड़ा

द्विगु समास किसे कहते हैं? (Dragu Samas Kise Kahate Hain)

इस समास मैं पहला पद संख्यावाचक विशेषण तथा उत्तर प्रधान होता है उसे द्विगु समास कहते हैं।

उदाहरण

सात टापुओं का समूह – सप्त टापू

तीन रंगों का समूह – तिरंगा

तीन भुजाओं का समाहार – त्रिभुज

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?(Bahubrihi Samas Kise Kahate Hain)

वह समास जिसमें समस्त पद में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है बल्कि इसका कोई तीसरा अर्थ निकलता है ऐसे समास को बहुव्रीहि समास कहते हैं। बहुव्रीहि समास में पहला पद अनिवार्य रूप से संज्ञा होता है जो दूसरे पद का विशेषण होता है।

उदाहरण

गिरी को धारण किया है जिसने (कृष्ण) – गिरिधर

लंबा है उदर जिसका (गणेश) – लंबोदर

चक्र है पाणी में जिसके (विष्णु) – चक्रपाणि

मृत्यु को जीतने वाला (शिव) – मृत्युंजय

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