रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय | Ramnaresh Tripathi Biography In Hindi

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय रचनाएँ हिन्दी साहित्य में स्थान

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि रामनरेश त्रिपाठी का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के कोइरीपुर गाँव के एक परिवार में हुआ था। आपके पिता पं. रामदत्त त्रिपाठी ब्राह्मण थे। उन्होंने नौवीं कक्षा तक स्कूल में पढ़ाई की और बाद में पढ़ाई और देश का असाधारण ज्ञान प्राप्त किया और साधना को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उन्हें न केवल हिंदी भाषाओं का, बल्कि अंग्रेजी, संस्कृत, बंगाली और गुजराती का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने भारत में हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार का सराहनीय कार्य करते हुए हिंदी की सेवा की। वह हिंदी-साहित्य सम्मेलन के इतिहास परिषद के अध्यक्ष थे।
वे एक स्वतंत्रता सेनानी और देश के सेवक भी थे। प्रकाशनों की सेवा करते हुए, सरस्वती के इस पुत्र का वर्ष 1962 में निधन हो गया।

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय (Biography of Ramnaresh Tripathi In Hindi) एक नज़र में

नाम Name रामनरेश त्रिपाठी

जन्म तारीख Date of Birth 4 मार्च सन् 1889 ई०

जन्म स्थान Place of Birth जौनपुर जिले के कोइरीपुर ग्राम उत्तर प्रदेश, भारत

  दादाभाई नौरोजी का जीवन परिचय | Dadabhai Naoroji Biography in Hindi

मृत्यु Death 16 जनवरी, सन् 1962 ई०

नागरिकता Nationality भारतीय

पारिवारिक जानकारी Family Information
पिता का नाम Father’s Name रामदत्त त्रिपाठी

अन्य जानकारी Other Information

प्रमुख रचनाएँ

पथिक, मिलन और स्वप्न ग्राम्य गीत

रचनाएँ

 इनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ निम्नलिखित हैं

1 खण्डकाव्य-‘पथिक’, ‘मिलन’ और ‘स्वप्न’। ये तीन प्रबन्धात्मकखण्डकाव्य हैं। इनकी विषयवस्तु ऐतिहासिक और पौराणिक है, जो देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत है।

2. मुक्तक काव्य- ‘मानसी’ फुटकर काव्य-रचना है। इस काव्य में त्याग, देश-प्रेम, मानव-सेवा और उत्सर्ग का सन्देश देने वाली प्रेरणाप्रद कविताएँ संगृहीत हैं।

3. लोकगीत— ‘ग्राम्य गीत’ लोकगीतों का संग्रह है। इसमें ग्राम्य-जीवन के सजीव और प्रभावपूर्ण गीत हैं। इनके अतिरिक्त त्रिपाठी जी द्वारा रचित प्रमुख कृतियाँ हैं

वीरांगना’ और ‘लक्ष्मी’ (उपन्यास),

‘सुभद्रा’, ‘जयन्त’ और ‘प्रेमलोक’ (नाटक),

स्वप्नों के चित्र’ (कहानी-संग्रह),

तुलसीदास और उनकी कविता’ (आलोचना),

कावता कौमुदी’ और ‘शिवा बावनी’ (सम्पादित),

‘तीस दिन मालवीय जी के साथ’ (संस्मरण),

‘श्रीरामचरितमानस’ की टीका (टीका),

“आकाश की बातें’; मालकथा कहानी’; ‘गुपचुप कहानी’; ‘फूलरानी’ और ‘बुद्धि विनोद’ (बाल-साहित्य), ‘महात्मा बुद्ध‘ तथा ‘अशोक’ (जीवन-चरित) आदि।

हिन्दी साहित्य में स्थान

खडी बोली के कवियों में आपका प्रमुख स्थान है। अपनी द्वारा हिन्दी साहित्य के सच्चे सेवक के रूप में त्रिपाठी जी प्रशंसा के पात्र ट्राय भावों के उन्नायक के रूप में आप हिन्दी-साहित्य में अपना विशेष स्थान रखते हैं।

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