घमंड पर दोहे
घमंड पर दोहे घमंड अक्सर नुकसानदायक होता है इससे बचना चाहये कुछ चुने हुए महान कवियों के घमंड पर दोहे
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काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान ।
तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान ।।
अर्थ- किसी व्यक्ति के अंदर कामवासना क्रोध घमंड और लालच आदि भरा होता है इस तरह के ज्ञानी व्यक्ति को भी एक मूर्ख व्यक्ति समझना चाहिए दोनों में कोई अंतर नहीं होता है।
काम क्रोध मद लोभ परायन। निर्दय कपटी कुटिल मलायन।
वयरू अकारन सब काहू सों। जो कर हित अनहित ताहू सों।
अर्थ- वे काम, क्रोध, अहंकार, लोभ के अधीन होते हैं। वे निर्दयी, छली, कपटी एवं पापों के भंडार होते हैं। वे बिना कारण सबसे दुशमनी रखते हैं। जो भलाई करता है वे उसके साथ भी बुराई ही करते हैं।
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कबीरा गर्व न कीजिये , ऊँचा देख आवास।
काल पड़ो भू लेटना , ऊपर जमसी घास।।
कबीरदास जी कहते हैं कि ऊंचा आवास देख कर आपको कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि मरने के बाद आपको जमीन पर ही लेटना पड़ता है।