प्रेम पर रसखान के दोहे – प्रेम एक ऐसी भावना है, जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का रहस्य है। इसी के बारे में रसखान ने अपने दोहों में कुछ अमूल्य बातें कही हैं।
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प्रेम पर रसखान के दोहे
प्रेम हरी को रूप है, त्यौं हरि प्रेम स्वरूप।
एक होइ द्वै यो लसै, ज्यौं सूरज अरु धूप॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं प्रेम भगवान के रूप के समान हैं और भगवान तो प्रेम का स्वरूप होते हैं । जिस तरह सूर्य और धूप में कोई अंतर नहीं माना जाता उसी तरह प्रेम हरि एक दूसरे के पूरक हैं।
पै मिठास या मार के, रोम-रोम भरपूर।
मरत जियै झुकतौ थिरै, बनै सु चकनाचूर॥
हिंदी अर्थ
अति सूक्षम कोमल अतिहि, अति पतरो अति दूर।
प्रेम कठिन सब ते सदा, नित इकरस भरपूर॥
हिंदी अर्थ- प्रेम का स्वरूप अति सूक्ष्म, कोमल होता है परंतु प्रेम अत्यंत कठिन होता है और रस से भरपूर होता है।
इक अगी बिनु कारनहिं, इक रस सदा समान।
गनै प्रियहि सर्वस्व जो, सोई प्रेम प्रमान॥
हिंदी अर्थ- जो व्यक्ति बिना कारण सदा प्रभु में खोया रहता है और अकेले में सदा प्रभु का चिंतन करता रहता है वह प्रभु को अपना स्तर वस्त्र समझता है यही सच्चा प्रेम है।
प्रेम प्रेम सब कोउ कहै, कठिन प्रेम की फाँस।
प्रान तरफि निकरै नहीं, केवल चलत उसाँस॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं प्रेम की बातें तो सभी लोग करते हैं लेकिन प्रेम करने अत्यंत कठिन होता है जिस तरह तड़पता रहता उसकी सांस चला करती लेकिन उसके प्राण ने निकलते हैं।
प्रेम पर रसखान के दोहे अर्थ सहित
कहा करै रसखानि को, कोऊ चुगुल लवार।
जो पै राखनहार है, माखन चाखनहार॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसकी रक्षा करने वाले प्रभु श्री कृष्ण है उसका कौन क्या बिगाड़ सकता है।
मन लीनो प्यारे चितै, पै छटाँक नहिं देत।
यहै कहा पाटी पढ़ी, दल को पीछो लेत॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसके मन में प्रभु श्री कृष्ण का वास है कवि कहते हैं कि उन्होंने यही पाठ पढ़ा है कि पहले अपना सर्वस्व दो तब मुझसे कुछ मिलेगा।
प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ।
जो जन जानै प्रेम तौ, परै जगत क्यौं रोइ॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं प्रेम की बातें तो सभी लोग करते हैं लेकिन वास्तविकता में प्रेम को कोई नहीं जानता यदि कोई प्रेम का सच्चा अर्थ जान जाता है तो वह नश्वर संसार के लिए झूठे आंसू क्यों बहाये।
सास्रन पढि पंडित भए, कै मौलवी क़ुरान।
जुपै प्रेम जान्यौ नही, कहा कियौ रसखान॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं व्यक्ति शास्त्रों को पढ़कर पंडित बन जाता है कुरान को पढ़कर लोग मौलवी हो जाते हैं लेकिन जो व्यक्ति प्रेम को नहीं जानते उनके लिए सभी विद्या व्यर्थ हैं ।
स्याम सघन घन घेरि कै, रस बरस्यौ रसखानि।
भई दिवानी पान करि, प्रेम मद्य मनमानि॥
हिंदी अर्थ- कवि रसखान कहते हैं जिसके मन में प्रभु श्री कृष्ण से प्रेम हो जाता है रसखान कहते हैं कि जिसने भी इस प्रेम रस को पिया वह उसका दीवाना हो गया।
प्रेम जो तजि बैर, विवाद, दोष।
तिनके तरवर उतरे, सो घट महिं फूल लोष।।
अर्थ: जो व्यक्ति बैर, विवाद और दोष को त्याग देता है, उसे प्रेम का फल मिलता है, जिससे उसका मन खुश होता है। इस प्रकार वह सम्पूर्ण जीवन के रस को अनुभव करता है।
प्रेम की बिना सब सूखे, प्रीति बिना नहिं कोय।
प्रीति बिना जग बैरी, प्रेम बिना सब होय।।
अर्थ: प्रेम के बिना सब कुछ शून्य हो जाता है और कोई भी वस्तु शेष नहीं रहती है। जब तक प्रीति नहीं होती है, तब तक संसार का सब वस्तु वैरी बन जाता है। प्रेम के बिना सब कुछ अधूरा हो जाता है।
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